इन दिनों बच्चों में तेजी से मोटापा बढ़ रहा है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के मुताबिक बीते 30 वर्षों में मोटापे से ग्रस्त बच्चों का आँकड़ा तकरीबन दोगुना को गया है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चे के मोटापे को अनदेखा कर देते हैं। मोटापा एक गंभीर परेशानी है। यह बच्चों और युवाओं को प्रभावित करती है। लंबाई एवं आयु के मुताबिक बच्चों का सामान्य से अधिक वेट होने की स्थिति को मोटापा कहा जाता है। बॉडी में ज्यादा वसा होने की वजह से कई स्वास्थ्य समस्या होती है। वहीं बच्चों को तनाव भी होने लगता है। बच्चों में मोटापे के लक्षण:- सभी बच्चे मोटापा का शिकार नहीं होते है। कुछ बच्चों का वजन औसत से ज्यादा होता है। शारीरिक विकास के चलते बच्चे के शरीर में वसा का स्तर अलग होता है। चिकित्सक मोटापे की जांच के लिए BMI के ग्रोथ चार्ट का उपयोग करते हैं। वहीं जिन बच्चों के अभिभावक या परिवार के अन्य सदस्य मोटे होते हैं। उनमें वजन बढ़ने की संभावना सबसे अधिक है। बच्चों में मोटापा होने की प्रमुख कारण ज्यादा खाना एवं एक्सरसाइज नहीं करना है। मोटापे के कारण:- - फास्ट फूड, स्नैक्स, सोडा, सोफ्ट ड्रींक एवं मिठाई खाने से मोटापा तेजी से बढ़ता है। - शारीरिक गतिविधियों में कमी एवं अंसतुलित खाने से बच्चों में मोटापा बढ़ता है। - तनाव, बोरियत और नकारात्मक की वजह से बच्चों में मोटापा बढ़ने लगता है। मोटापे से होने वाले संभावित जोखिम:- - डायबिटीज - हृहय रोग - अस्थमा - नींद संबंधी विकार बच्चों में मोटापे को कैसे रोके:- 1- बच्चे को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें। 2- बच्चे को पौष्टिक आहार दें। 3- बच्चों का समाज में लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ाए। 4- बच्चे को बाहरी खाना तथा जंक फूड न खाने दें। 5- बच्चे को डिब्बा बंद जूस तथा मीठी चीजे कम से कम दे। मंकीपॉक्स वायरस पर केरल की सीमावर्ती जिलों पर तमिलनाडु ने बढ़ाई निगरानी देर तक या जल्दी नहाकर निकलने की है आदत तो हो सकती है ये समस्या डेस्क वर्क पर करते हैं काम तो हो सकता है कैंसर, बचाव के लिए करें ये उपाय