क्यों चर्चा में है सरकार का वित्तीय संबंधी बिल

नई दिल्ली : इन दिनों सरकार का वित्तीय संबंधी एक बिल चर्चा में है. अगर कोई बैंक डूब रहा हो, दिवालिया हो रहा हो तो उसमे जो राशि ग्राहकों की जमा हैं उन्हें बैंक लौटाने के लिए बाध्य हैं? इन रुपयों की क्या गारंटी है ? इस बारे में सरकार एक बिल ला रही है.जिसके कुछ बिंदु आपत्तिजनक हैं .

उल्लेखनीय है कि दिवालिया हो रही किसी बैंकिग या वित्तीय कंपनी के संदर्भ में अगस्त में लोकसभा में पेश हुए फाइनेंसियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल का मुद्दा इन दिनों गर्माया हुआ है .दरअसल बैंकिंग क्षेत्र की निगरानी के लिए एक रेज़ोल्यूशन कॉर्पोरेशन का प्रस्ताव है जो डूबते बैंक के खाताधारकों के पैसे की इंश्योरेंस के मापदंड तय करेगा.

बता दें कि इस बिल का ज़्यादा विवाद बिल के उस प्रस्ताव को लेकर है जिसमें कहा गया है कि खाताधारकों के जमा पैसे का इस्तेमाल बैंक को उबारने में किया जा सकता है.विवाद बिल के चैप्टर 4 सेक्शन 2 को लेकर भी है. इसके अनुसार रेज़ोल्यूशन कॉरपोरेशन रेग्यूलेटर से सलाह-मश्विरे के बाद यह तय करेगा कि दिवालिया बैंक के जमाकर्ता को उसके जमा पैसे के बदले कितनी रकम दी जाए.

जबकि दूसरी ओर सरकार ने बिल में बदलाव के संकेत देते हुए वित्तमंत्री ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल संसद की स्थायी समिति के अधीन है. सरकार की मंशा वित्तीय संस्थानों और खाताधारकों के हितों को सुरक्षित रखना है. सरकार इसको लेकर प्रतिबद्ध है.जेटली ने बिल के प्रावधानों को लेकर मीडिया में गलतफहमी फैलाने की भी बात कही .

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