जामा मस्जिद का सर्वे कराने से क्यों डर रहा मुस्लिम पक्ष? कोर्ट में उठा सवाल

लखनऊ: बदायूँ की जामा मस्जिद शम्सी को लेकर विवाद का मामला जिला अदालत में चल रहा है, और अब इस पर अगली सुनवाई 10 दिसंबर, 2024 को होगी। मंगलवार, 3 दिसंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिका पर कोई निर्णय नहीं लिया। यह मामला बदायूँ की फास्टट्रैक कोर्ट में चल रहा है। सुनवाई के दौरान आधे घंटे तक दोनों पक्षों में बहस हुई, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने बहस पूरी करने के लिए और समय मांगा, जिस पर अदालत ने असंतोष व्यक्त किया। 

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में सवाल उठाया कि अगर मुस्लिम पक्ष को याचिका से कोई खतरा नहीं है, तो वह सर्वे के लिए डर क्यों रहा है ? हिंदू पक्ष का यह भी आरोप है कि जामा मस्जिद के मूल स्वरूप को बदल दिया गया है और इसकी ऐतिहासिकता से छेड़छाड़ की गई है। हिंदू पक्ष की ओर से यह याचिका मुकेश पटेल ने 2022 में दायर की थी। उन्होंने इस मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है और इसके समर्थन में सबूत भी पेश किए हैं। याचिका में हिंदुओं को इस स्थान पर पूजा-अर्चना का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। 

मसले की पैरवी हिंदू महासभा के अधिवक्ता विवेक रेंडर कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्थान हिंदू आस्था का केंद्र था, जिसे बाद में मस्जिद में बदल दिया गया। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका को खारिज करने की मांग की है। उनका दावा है कि यह स्थान हमेशा से मस्जिद ही रहा है और हिंदू पक्ष की याचिका निराधार है। इस दौरान हिंदू पक्ष ने प्रशासन से यह शिकायत भी की है कि जामा मस्जिद के स्वरूप में बदलाव कर उसकी ऐतिहासिक पहचान को मिटाने का प्रयास किया गया है। दोनों पक्षों की दलीलों के बीच, अदालत ने फिलहाल इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसंबर निर्धारित की है। 

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