नई दिल्ली: अत्याधुनिक ज्यूडिशियल विस्टा को लेकर दी गई याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने कहा है कि सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर 'ज्यूडिशियल विस्टा' क्यों नहीं हो सकता? न्यायालय ने याचिका को तर्क सम्मत बताया और केंद्र से दो दिन में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की बेंच ने केंद्र से अधिवक्ता अर्धेंदु मौली कुमार प्रसाद द्वारा दाखिल की गई एक याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. ज्यूडिशियल विस्टा के निर्माण की याचिका पर शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर अपना पक्ष रखे. अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि ये याचिका व्यवाहरिक और तर्क सम्मत है. लिहाजा केंद्र सरकार इस मामले पर बताए कि उसका विचार क्या है? न्यायालय ने कहा है कि सरकार का पक्ष एक या दो दिन में कोर्ट के समक्ष रखे. इसके बाद मामले की सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान अदालत ने भी ज्यूडिशियल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर सहमति प्रकट करते हुए कहा कि अब वक़्त आ गया है कि सेंट्रल विस्टा की तरह ही ज्यूडिशियल विस्टा भी होना चाहिए. उन्होंने ने कहा कि चीजें सुनियोजित होनी चाहिए. दरअसल, अर्धेंदु मौली कुमार प्रसाद ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट परिसर के आस पास ज्यूडिशियल विस्टा का निर्माण किए जाने की मांग की है. याचिका में इस प्रमुख मांग के साथ पूरे देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार द्वारा विशेष रूप से एक स्वतंत्र केंद्रीय प्राधिकरण की स्थापना किए जाने का भी उल्लेख किया है. दिल्ली में भरभराकर गिर गई 3 मंजिला ईमारत, कई लोगों के दबे होने की आशंका संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने देशो से मजबूत सहयोग का आह्वान किया सेना पर खर्च करने के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है भारत, देखें रिपोर्ट