आप सभी जानते ही हैं कि रोशनी और खुशियों का पर्व दीपावली है और इस त्यौहार की शुरुआत धनतेरस अर्थात कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि से हो जाती है. कहा जाता है अमावस्या तक यह त्यौहार मनाया जाता है. ऐसे में त्रयोदशी, चतुर्थी और अमावस्या, इन तीन दिनों तक लगातार दीप प्रज्जवलन करना चाहिए लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दिनों दीपक क्यों जलाते हैं. जी हाँ, अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे के कुछ कारण. कहा जाता है कि पुुराणों में जहां दिवाली का वर्णन है वहां यह नया तथ्य भी सामने आता है कि दीपावली के दिन सिर्फ महालक्ष्मी के लिए ही नहीं बल्कि पितरों के निमित्त भी दीप जलाए जाते हैं और दीपक के साथ आतिशबाजी, आकाशदीप, कंडील आदि जलाने की प्रथा के पीछे यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरंभ होती है और हमारे पितर कहीं मार्ग से भटक न जाएंं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है. आपको बता दें कि इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है और हर साल वह इसी मान्यता को मानते हुए दीपक जलाये जाते हैं. वैज्ञानिक कारण - कहते हैं दिवाली पर दिए जलाने से मच्‍छरों का प्रकोप दूर हो जाता है क्योंकि वैज्ञानिक मानते हैं कि सरसों के तेल के जलने से जो धुआं वातावरण में घुलता है उसकी खुशबू मच्‍छरों को अपनी ओर आकर्षित करती है जिससे उनका खात्मा हो जाता है. इस बार बनाएं यह रंगोली, आपका घर दिखेगा सबसे खास धनतेरस पर खरीद लें चांदी का कड़ा और पहने इस दिन, होगा महालाभ दिवाली पर घर में बनाए यह ख़ास रंगोली, खींची चली आएंगी माँ लक्ष्मी