भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक है नंदी। जी हाँ और नंदी का पूजन भी जरुरी माना जाता है। आप सभी ने अब तक कई शिव मंदिर देखे होंगे जहाँ नंदी बाबा भी होंगे। जी हाँ, कई शिव मंदिरों में नंदी की बैल के स्वरूप में प्रतिमा विराजमान रहती है। वहीं जो भी मनोकामना होती है उसे उनके कानों में बोलने की परंपरा है और साथ ही नंदीदेव के सींगों के बीच से शिवलिंग के दर्शन करने की परंपरा भी है। अब आज हम आपको बताते हैं कि क्या है इसके पीछे का कारण? जी दरअसल शिव का रूप ज्योतिर्मय भी है और एक रूप भौतिकी शिव के नाम से जाना जाता है जिसकी हम सभी आराधना करते हैं। वहीं ज्योतिर्मय शिव पंचतत्वों से निर्मित हैं और भौतिकी शिव का वैदिक रीति से अभिषेक एवं मंत्रोच्चारण किया जाता है। जी दरअसल ज्योतिर्मय शिव तंत्र विज्ञान द्वारा दर्शन देते हैं और इस विज्ञान को जानने वाले जितने भी हुए और जिन्होंने भी शिव के इस रूप के दर्शन किए, सबने इस ज्ञान को गोपनीय रखा। आपको बता दें कि शिव परिवार पंच तत्व से निर्मित है और तत्वों के आधार पर शिव परिवार के वाहन सुनिश्चित हैं। जी दरअसल शिव स्वयं पंचतत्व मिश्रित जल प्रधान हैं और इनका वाहन नंदी आकाश तत्व की प्रधानता लिए हुए है। ठीक ऐसे ही माता गौरी अग्नि तत्व की प्रधानता लिए हुए हैं। जी हाँ और इनका वाहन सिंह (‍अग्नि तत्व) है। वहीं स्वामी कार्तिकेय वायु तत्व हैं और इनका वाहन मयूर (वायु तत्व), श्री गणेश (पृथ्‍वी तत्व), मूषक इनका वाहन (पृथ्वी तत्व)। आपको पता होगा कि शिवलिंग के सामने सदैव नंदीदेव विराजमान रहते हैं और शिव के दर्शन करने के पूर्व नंदीदेव के सींगों के बीच (आड़) में से शिव के दर्शन करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शिव ज्योतिर्मय भी हैं और सीधे दर्शन करने पर उनका तेज सहन नहीं कर सकते। जी हाँ, नंदी देव आकाश तत्व हैं और वे शिव के तेज को सहन करने की पूर्ण क्षमता रखते हैं। घर की सुख-शांति के लिए सोने से पहले भूल से भी ना करें ये काम साल 2022 में कब-कब हैं प्रदोष व्रत, जानिए यहाँ पूरी लिस्ट जून महीने के पहले प्रदोष व्रत पर इस तरह करें भगवान शिव का पूजन