आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि महाभारत से जुडी कई कथाएं हैं जिनके बारे में आप सभी जानते ही होंगे. ऐसे में महाभारत के बारे में यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना युद्ध के लिए. आइए जानते हैं. महाभारत कथा - महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था, जिसमें दोनों तरफ से करोड़ों योद्धा मा'रे गए थे. ये संसार का सबसे भीषण युद्ध था. उससे पहले न तो कभी ऐसा युद्ध हुआ था और न ही भविष्य में कभी ऐसा युद्ध होने की संभावना है. कुरुक्षेत्र की धरती को महाभारत के युद्ध के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ही चुना था, लेकिन उन्होंने कुरुक्षेत्र को ही महाभारत युद्ध के लिए क्यों चुना, इसके पीछे एक गहरा रहस्य छुपा है. शास्त्रों के मुताबिक, महाभारत का युद्ध जब तय हो गया तो उसके लिये जमीन तलाश की जाने लगी. भगवान श्रीकृष्ण इस युद्ध के जरिए धरती पर बढ़ते पाप को मिटाना चाहते थे और धर्म की स्थापना करना चाहते थे. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को ये डर था कि भाई-भाइयों के, गुरु-शिष्यों के और सगे-संबंधियों के इस युद्ध में एक दूसरे को म'रते देखकर कहीं कौरव और पांडव संधि न कर लें. इसलिए उन्होंने युद्ध के लिए ऐसी भूमि चुनने का फैसला किया, जहां क्रोध और द्वेष पर्याप्त मात्रा में हों. इसके लिए श्रीकृष्ण ने अपने दूतों को सभी दिशाओं में भेजा और उन्हें वहां की घटनाओं का जायजा लेने को कहा. सभी दूतों ने सभी दिशाओं में घटनाओं का जायजा लिया और भगवान श्रीकृष्ण को एक-एक कर उसके बारे में बताया. उसमें से एक दूत ने एक घटना के बारे में बताया कि कुरुक्षेत्र में एक बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को खेत की मेंड़ टूटने पर बहते हुए वर्षा के पानी को रोकने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया. इस पर बड़ा भाई गुस्से से आग बबूला हो गया और उसने छोटे भाई को छुरे से गोद कर मार डाला और उसकी ला'श को घसीटता हुआ उस मेंड़ के पास ले गया और जहां से पानी निकल रहा था वहां उसकी ला'श को पानी रोकने के लिए लगा दिया. दूत द्वारा सुनाई इस सच्ची घटना को सुनकर श्रीकृष्ण ने तय किया कि यही भूमि भाई-भाई, गुरु-शिष्य और सगे-संबंधियों के युद्ध के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. श्रीकृष्ण अब बिल्कुल निश्चिंत हो गए कि इस भूमि के संस्कार यहां पर भाइयों के युद्ध में एक दूसरे के प्रति प्रेम उत्पन्न नहीं होने देंगे. इसके बाद उन्होंने महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में करवाने का एलान कर दिया. इस तरह अंगद और हनुमान के दर्शन कर संपाती को मिल गया था नया जीवन इस कारण से दयानन्द सरस्वती जी ने की थी आर्य समाज की स्थापना आखिर क्यों भोलेनाथ के जयकारे में बोला जाता है 'बम बम भोले'