नई दिल्ली: यूपी सहित 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की जा चुकी है. जिसके साथ साथ ही इन 5 राज्यों में आचार संहिता भी लागू कर दी जाएगी. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं, उसे ही आचार संहिता बोला जाता है. आचार संहिता लागू होते ही कई परिवर्तन भी किए जाते है. राज्य सरकारें निहत्थी हो जातीं है और चुनाव आयोग महाबली भी हो जाते हैं. राज्य सरकारों पर कई सारी पाबंदियां लग जाती हैं. सारे कामों पर रोक लगा दी जाती है. राज्य सरकार क्यों हो जाती है निहत्थी? 1. मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक पर लग जाती है पाबंदी:- - सरकार का कोई भी मंत्री, विधायक यहां तक कि सीएम भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी से मुलाकात नहीं कर सकते है. - सरकारी विमान, गाड़ियों का उपयोग किसी पार्टी या कैंडिडेट को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं कर पाते है. मंत्रियों-मुख्यमंत्री सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल अपने आधिकारिक निवास से अपने ऑफिस तक केवल गवर्नमेंट वर्क के लिए ही कर सकते हैं. - स्टेट गवर्नमेंट का कोई भी मंत्री या कोई भी राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन वाली कार का उपयोग नहीं कर सकता, चाहे वो गाड़ी निजी ही क्यों न हो. 2. किसी अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर भी नहीं कर सकती सरकार:- - स्टेट और सेंट्रल के अधिकारी-कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह कार्य करते हैं. - आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर पाती. यदि किसी अधिकारी ट्रांसफर या पोस्टिंग आवश्यक भी हो तो आयोग की अनुमति लेना अनिवार्य होता है. 3. सरकारी पैसे का नहीं कर सकते इस्तेमाल:- - आचार संहिता के बीच सरकारी पैसे का इस्तेमाल विज्ञापन या जन संपर्क के लिए नहीं किया जा सकता है. अगर पहले से ही ऐसे विज्ञापन चल रहे हों तो उन्हें हटा लिया जाता है. - किसी भी तरह की नई योजना, निर्माण कार्य, उद्घाटन या शिलान्यास पर भी रोक लगा दी जाती है. अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वो जारी रह सकता है. - अगर किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी आई हो तो ऐसे समय में गवर्नमेंट कोई उपाय करना चाहती है तो पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेना होता है. 4. प्रचार करने पर भी रहते हैं कई प्रतिबंध - मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते. - प्रचार के लिए राजनीतिक पार्टियां कितनी भी गाड़ियां (टू-व्हीलर भी शामिल) इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन पहले रिटर्निंग ऑफिसर की मंज़ूरी लेना अनिवार्य हो जाता है. केरल में भाजपा ने सरकारी अस्पतालों के रवैये पर सवाल उठाया चंडीगढ़ में बड़ा उलटफेर, शहर की महापौर बनी भाजपा की सरबजीत कौर, धरने पर AAP पार्षद सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, जिन्हे पंजाब का DGP बनाने के लिए सिद्धू ने चन्नी सरकार तक को झुका दिया - किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने से पहले पुलिस की मंज़ूरी लेनी होती है. - रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे का इस्तेमाल नहीं हो सकता. अगर कोई रैली भी होनी है तो सुबह 6 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद नहीं होगी.