इस वजह से छठ पर्व पर सूर्य को पानी में उतकर दिया जाता है अर्घ्य

आप जानते ही हैं कि छठ महापर्व 31 अक्टूबर से शुरू हो चुका है. ऐसे में आज 2 नवंबर है यानी आज छठ पर्व का तीसरा दिन है. ऐसे में इन दिनों स्नान के बाद छठ व्रती व्रत का संकल्प लेती हैं और इन दिनों छठी मइया के भोग लगाने के बाद ही छठ व्रती प्रसाद ग्रहण किया जाता है. वहीं बीते कल खरना के दिन प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती स्त्रियां अगले 36 से 40 घंटे तक कुछ भी नहीं खाती हैं. वहीं वह मान्यता करती हैं कि जब तक उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दे देंगी उसके बाद ही व्रती अन्न ग्रहण करेंगी. वहीं इसके साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है और लोग एक- दूसर को प्रसाद देते हैं.

जी हाँ, आपको पता ही होगा महापर्व छठ में छठ व्रती पवित्रता के लिए पानी में उतरती हैं और आज हम आपको उसका कारण बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं. जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि सूर्य को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं. इसी के साथ ऐसी मान्यता है कि नदी और तलाब में प्रवेश करके अर्ध्य देने से भगवान विष्णु और सूर्य दोनों की पूजा हो जाती है और इसके अलावा एक और मान्यता है कि, ''गंगा, यमुना और सरस्वती सभी पापों और कष्टों को हर लेती हैं इसलिए जल में प्रवेश करके अर्ध्य देने की परंपरा है.''

वहीं छठ महापर्व के दिन छठ व्रती शाम और सुबह दोनों समय अर्ध्य पानी के अंदर प्रवेश करके देते हैं और पुराणों में लिखा है कि, ''देवी षष्ठी सुर्य देव की मानस बहन हैं. सूर्य देव को खुश करने के लिए , उनकी बहन को शक्ति की अराधना के रूप में पूजी जाती हैं.'' वहीं दूसरा कारण है कि ''प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं. षष्ठी माता को बच्चों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु की रची माया भी कहा जाता है. इसलिए छठ महापर्व को संतान की सुख प्राप्ति के लिए महिलाएं करती हैं.''

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