नई दिल्ली: भले ही भारत ने 9 जून को होने वाले पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पड़ोसी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया हो, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को पाकिस्तान को न्योता न दिए जाने पर दुख जताया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "मुझे लगता है कि पड़ोसी देशों को आमंत्रित करने की यह अच्छी परंपरा है। लेकिन इस बार एक कम है। उन्होंने पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया है। इसलिए, यह भी एक संकेत है...। थरूर ने कहा, "मुझे शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया है, इसलिए मैं (भारत बनाम पाकिस्तान) मैच देखूंगा।" नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले, पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें बधाई देना "जल्दबाजी" होगी। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने यह टिप्पणी तब की जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान ने मोदी को उनकी चुनावी जीत पर औपचारिक रूप से बधाई दी है। बलूच ने उल्लेख किया कि उनके पास भारत की चुनावी प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं है और इस बात पर जोर दिया कि भारत में अभी भी सरकार बन रही है, इसलिए प्रधानमंत्री को बधाई देने पर चर्चा करना जल्दबाजी होगी। बता दें कि, लोकसभा चुनावों में भाजपा की कम सीटें आने पर और कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहने पर पाकिस्तान के कई नेताओं ने ख़ुशी जताई है। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा हैं कि, ''सांप्रदायिक कट्टरता और भाजपा के प्रतिगामी “हिंदू राष्ट्र” को अस्वीकार करने के लिए भारत के लोग बहुत तारीफ के पात्र हैं।'' वहीं, पाकिस्तान की पिछली इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे फवाद चौधरी भी भारत के चुनावों पर लगातार बयान दे रहे थे। वे तो खुले आम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कह चुके थे कि, किसी भी तरह मोदी सरकार को हटाना जरूरी है। वे राहुल गांधी के वीडियो और कांग्रेस के विज्ञापन भी अपने हैंडल से शेयर कर चुके हैं। नतीजों पर उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ''चूंकि भारत के चुनाव पर मेरी हर भविष्यवाणी लगभग सही साबित हुई, इसलिए मैं यह कहने का साहस करता हूं कि मोदी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन उनकी सरकार के कार्यकाल पूरा करने की संभावना लगभग शून्य है, यदि INDIA गठबंधन अपने पत्ते ठीक से खेलता है तो भारत में मध्यावधि चुनाव होंगे।'' आखिर INDIA अलायन्स की जीत क्यों चाहता है पाकिस्तान ? दरअसल, इसके पीछे कुछ वैचारिक समानताएं हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का विरोध पाकिस्तान भी करता है और कांग्रेस भी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक बयान में खुलेआम कह चुके हैं कि, पार्टी सत्ता में आई तो 370 वापस लागू करेंगे। ये अनुच्छेद पाकिस्तान के लिए काफी फायदेमंद था। इसके जरिए कोई भी पाकिस्तानी कश्मीर की लड़की से शादी करके भारतीय कश्मीर का नागरिक बन जाता था, जबकि कोई भी दूसरे राज्य का भारतीय वहां जमीन नहीं खरीद सकता था। इसकी मदद से पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने में बहुत आसानी होती थी। कांग्रेस इसे हटाने का विरोध इसलिए करती है, क्योंकि भारत के मुस्लिम इसका विरोध करते हैं, जो कांग्रेस का मुख्य वोटबैंक है, ऐसे में पार्टी उसके पीछे खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अयोध्या मामले पर भी पाकिस्तान और कांग्रेस का एक जैसा रुख है, दोनों उस स्थान पर राम मंदिर बनने के खिलाफ थे, कांग्रेस तो राम को सुप्रीम कोर्ट में काल्पनिक भी बता चुकी थी, ताकि ये सिद्ध हो जाए की जब राम ही काल्पनिक हैं, तो उनका जन्मस्थान कैसा और मंदिर कैसा ? ये भी गौर करने वाली बात है कि, नेहरू से लेकर इंदिरा, राहुल तक नेहरू-गांधी परिवार के कई नेता अफगानिस्तान में मौजूद 'बाबर' की कब्र पर जाकर आ चुके हैं, लेकिन इस परिवार का कोई भी सदस्य आज तक राम मंदिर नहीं गया है, यहाँ तक कि निमंत्रण मिलने के बाद भी। पाकिस्तान भी चाहता था कि, उस स्थान पर राम मंदिर न बने और पूर्व कांग्रेसी पीएम नरसिम्हा राव ने उसी स्थान पर वापस बाबरी मस्जिद बनवाने का खुलेआम वादा किया था। यही नहीं, जब पाकिस्तान ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमला किया था, जिसमे 250 से अधिक लोग मारे गए थे, इसके बाद भारतीय सेना ने कांग्रेस सरकार (मनमोहन सरकार) के सामने सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसे हमले की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने इजाजत नहीं दी। उल्टा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जांच से पहले ही 26/11 RSS की साजिश नाम से किताब लॉन्च कर दी, और हिन्दू आतंकवाद शब्द फैलाया जाने लगा। जबकि, इस हमले में एकमात्र जिन्दा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने कबूला था कि उसे पाकिस्तान ने 'जिहाद' करने भेजा था। यही नहीं, सारे पाकिस्तानी आतंकियों के पास हिन्दू नाम वाले ID कार्ड भी थे, यानी पाकिस्तान भी इस हमले का दोष भारत के ही हिन्दुओं पर मढ़ने की साजिश में था, जिसे कांग्रेस की किताब और हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी ने और हवा दे दी। इसके उलट मोदी सरकार ने उरी और पुलवामा हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया, तो इस सरकार के खिलाफ तो पाकिस्तान को होना ही था। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में बयान दिया था कि, भारत को पाकिस्तान की इज्जत करनी चाहिए, क्योंकि उसके पास परमाणु बम है। भारत को अपनी सैन्य ताकत नहीं बढ़ानी चाहिए, क्योंकि इससे पाकिस्तान भड़ककर परमाणु मार सकता है। जबकि, मोदी सरकार का रुख शुरू से यही रहा है कि, जब तक पड़ोसी मुल्क आतंकवाद बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ बातचीत शुरू नहीं की जा सकती। इसके अलावा पाकिस्तान भी चाहता है कि, भारत में रह रहे मुस्लिमों को पर्सनल लॉ के हिसाब से चलने दिया जाए, कांग्रेस इसका वादा अपने घोषणापत्र में कर चुकी है, जबकि भाजपा एक देश एक कानून (UCC) की वकालत करती है। इसके अलावा भी कई चीज़ें हैं, जिसके लिए पाकिस्तान केंद्र में मोदी सरकार को हटाने के पक्ष में है और INDIA अलायन्स का समर्थन कर रहा है। आतंकियों के लिए काम करते थे दो पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और जल शक्ति विभाग का अधिकारी, हुए बर्खास्त फिर एक बार कांग्रेस संसदीय दल की नेता चुनीं गईं सोनिया गांधी, 1998 से संभाल रहीं हैं ये पद ! शपथ ग्रहण से पहले राजघाट और सदैव अटल पहुंचे पीएम मोदी, अमर ज्योति पर भी अर्पित की श्रद्धांजलि