अमृतसर: पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने एक आदेश वापस लिया है, जिसमें चार सरकारी शिक्षकों से आम आदमी पार्टी के विधायक अमोलक सिंह का स्वागत न करने पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। मामला फरीदकोट जिले के गोंदरा गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल का है, जहां 17 सितंबर को विधायक अमोलक सिंह दौरे पर आए थे। इस दौरान, स्कूल के प्रधानाध्यापक हरविंदर सिंह और तीन महिला शिक्षकों ने विधायक का औपचारिक स्वागत नहीं किया। इस पर विधायक ने शिकायत दर्ज कराई कि उनका उचित स्वागत नहीं किया गया। इस शिकायत के बाद शिक्षकों को चंडीगढ़ स्थित विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया गया था। हालांकि, शिक्षकों ने स्पष्ट किया कि वे अपने कक्षाओं में पढ़ाई करवा रहे थे और इसलिए कोई औपचारिक स्वागत नहीं किया गया। इसके बाद, 18 अक्टूबर को विधानसभा सचिवालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया, लेकिन 22 अक्टूबर को इस पत्र को वापस ले लिया गया। इस संदर्भ में संधवान ने कहा कि किसी भी विशेषाधिकार हनन के मामले में कोई भी कार्रवाई उनके संज्ञान में लाए बिना नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस मामले में फटकार लगाई और पत्र को वापस लेने का आदेश दिया। संधवान ने यह भी कहा कि शिक्षक समाज की रीढ़ हैं और उनकी गरिमा को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह घटना सवाल उठाती है कि क्या किसी से जबरदस्ती सम्मान प्राप्त किया जा सकता है? सम्मान एक ऐसी चीज़ है जिसे जबरदस्ती नहीं पाया जा सकता, बल्कि इसे अर्जित करना होता है। शिक्षक, समाज के नायक हैं, उनके प्रति ऐसा व्यव्हार AAP और उसके नेताओं को कटघरे में खड़ा करता है, विशेषकर तब जब आप एक चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। क्योंकि, जब आप वोट मांगने जाते हैं, तब आप कसी के खिलाफ ऐसी शिकायत कर सकते हैं कि उसने मेरा स्वागत नहीं किया ? फिर माननीय बनने के तुरंत बाद ये बदलाव क्यों आ जाता है ? ये घटना ना सिर्फ AAP, बल्कि तमाम पार्टियों के नेताओं के लिए सबक का काम करती है। रोज फोन पर 'भूत' से बात करती थी सोनिया, दर्दनाक हुआ अंत महाराष्ट्र में शरद पवार ही बड़े भाई, उद्धव-राहुल को माननी होगा NCP चीफ का फैसला! MUDA सकाम में सीएम सिद्धारमैया पर लटकी तलवार, एक्शन मोड में दिख रही ED