पुलवामा हमला: शहीदों के परिजनों को क्यों नहीं दी गई नौकरी ? केंद्र सरकार ने संसद में दिया जवाब

नई दिल्ली: वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों की लगभग एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 वर्ष के होने तक इंतजार करने का फैसला लिया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के 19 परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है. 3 और की नियुक्ति प्रक्रिया में है.

बता दें कि, 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक आतंकी द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में जाने CRPF के 40 जवान बलिदान हो गए थे. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 11 विधवाओं ने अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक प्रतीक्षा करने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि, इनमें से कुछ बच्चे चार वर्ष तक के हैं, इनमें CRPF हेड कांस्टेबल मनोज के बेहरा की बेटी और कांस्टेबल भागीरथ सिंह का सात वर्षीय बेटा शामिल है. मारे गए 40 CRPF कर्मियों के परिजनों को दी गई मौद्रिक मदद और सरकारी नौकरियों का विवरण साझा करते हुए, राय ने कहा कि  हर परिवार को पूरा मुआवजा दिया गया है, जिसमें केंद्र या राज्य सरकारों और व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट दाताओं द्वारा दी गई या दान की गई 1.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये तक की धनराशि सम्मिलित है.

उन्होंने बताया कि, 8 अन्य शहीदों के परिजनों को कुल मुआवजा 1.5 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये के बीच दिया गया है और 29 को 2 करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये के बीच मुआवज़ा दिया गया है. मंत्री ने कहा कि 3 शहीदों के परिवार को 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये के बीच मुआवजा दिया गया है.  

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