अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा के एक अस्पताल को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित एक शख्स के नमूने ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (ART) प्रक्रिया के लिए एकत्र करने के लिए कहा है, क्योंकि मरीज की जान बचने की संभावना बेहद कम है और उसकी पत्नी उसके बच्चे की मां बनना चाहती है. कोर्ट ने इसे एक 'असाधारण स्थिति' मानते हुए मंगलवार को मामले में आदेश दिया है. मरीज की पत्नी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के बाद जस्टिस जे. शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (ART) प्रक्रिया के लिए मरीज के सैंपल लेने और चिकित्सकीय सलाह के मुताबिक, इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया. मरीज की पत्नी के वकील निलय पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता IVF/ART प्रक्रिया के माध्यम से उसके बच्चे की मां बनना चाहती हैं, किन्तु अस्पताल इसकी इजाजत नहीं दे रहा, इसलिए उसे कोर्ट का रुख करना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि, 'एक असाधारण महत्वपूर्ण स्थिति के मद्देनज़र अभी के लिए अंतरिम राहत दी जाती है और यह राहत याचिका की सुनवाई पूरी होने के बाद आने वाले फैसले के अधीन होगी कोर्ट ने राज्य सरकार और अस्पताल के डायरेक्टर को नोटिस जारी करते हुए 23 जुलाई तक मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए भी कहा है. पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना संक्रमित उसके पति के कई अंगों ने काम करना बंद दिया है और वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है. चिकित्सकों के मुताबिक, मरीज के जीवित बचने की संभावना बेहद कम है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता और संवाद के लिए मौजूद सहायक सरकारी वकील को अस्पताल को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया कि मरीज की गंभीर हालत देखते हुए उसके सैम्पल्स को एकत्रित किया जाए मेघालय पुलिस ने हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (HNLC) के दो कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार जानिए कौन हैं शाजिया इल्मी ? जिन्हे भाजपा ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी मारुति सुजुकी ने भारत के ग्रामीण बाजारों में 50 लाख की संचयी बिक्री का लैंडमार्क किया पार