नई दिल्ली: पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है। राउत ने आरोप लगाया था कि चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र में दलबदल करने वाले नेताओं के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला नहीं देकर कानून का डर खत्म किया और दलबदल के रास्ते खोले। चंद्रचूड़ ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि कोई एक पार्टी यह तय नहीं कर सकती कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सालभर में कई अहम संवैधानिक मामलों पर सुनवाई की गई, और यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश के पास होता है कि किस मामले को सुना जाए। चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों की सुनवाई लंबित है, जो 20 सालों से अटके पड़े हैं। उन्होंने बताया कि न्यायालय के पास सीमित संसाधन होते हैं, और हर मामले की सुनवाई के लिए संतुलन बनाना पड़ता है। अगर सुप्रीम कोर्ट पुराने मामलों को प्राथमिकता देता, तो आलोचना होती कि कुछ महत्वपूर्ण नए मामलों की सुनवाई नहीं की गई। शिवसेना के दलबदल के मामलों पर फैसला नहीं लेने के आरोपों पर भी चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि हर राजनीतिक वर्ग यह मानेगा कि उनका एजेंडा माना जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चुनावी बांड और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से संबंधित मामलों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले दिए थे। महाराष्ट्र में शिवसेना के विभाजन के बाद, उद्धव ठाकरे गुट ने दलबदल करने वाले विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ दिया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया था। राउत का आरोप था कि यदि अयोग्यता याचिकाओं पर समय पर फैसला किया गया होता, तो चुनाव के नतीजे अलग होते। कांग्रेस के कार्यक्रम में चली गई लाइट, राहुल बोले- दलितों की बात कर रहा इसलिए.. सुहागरात पर दुल्हन का घूँघट उठाते ही निकली दूल्हे की चीख, दौड़ा-दौड़ा पहुंचा थाने... 'अहंकार छोड़े कांग्रेस, ममता को बनाए INDIA गठबंधन का नेता..', TMC सांसद ने बोला हमला