क्या बंगाल के काली मंदिर में बंद हो जाएगी पशुबलि? हाईकोर्ट ने कही ये बात

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह बोल्ला काली पूजा के दौरान मंदिर समिति को पशुओं की सामूहिक बलि प्रोत्साहित करने से रोके। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक उद्देश्यों के लिए पशु बलि की वैधता पर बाद में विचार किया जाएगा। 

यह मामला एक एनजीओ "रिफॉर्म्स सोशल वेलफेयर फाउंडेशन" द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें मंदिर में पशु बलि की प्रथा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि पूजा के एक दिन पहले सुनवाई हो रही है, इसलिए बलि पर सीधे प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने पूजा समिति को निर्देश दिया कि सामूहिक बलि को प्रोत्साहित न करें और श्रद्धालुओं को ऐसा करने से रोकें। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि बलि दी जाए तो केवल लाइसेंस प्राप्त स्थान पर ही होनी चाहिए। राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि पूजा समिति इस आदेश का पालन करे। यदि आदेशों का उल्लंघन होता है, तो पूजा समिति के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पिछले वर्षों में भी कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया था। उन्होंने दावा किया कि 2023 और 2024 में वही समिति बनी रही, जिसने नियमों का पालन नहीं किया। 

इससे पहले अक्टूबर में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बलि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि पशु बलि एक विवादास्पद धार्मिक प्रथा है और इस पर व्यापक विचार की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक परंपराओं की विविधता है और इसे एकरूप बनाना संभव नहीं। 

बोल्ला काली पूजा पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले में आयोजित होती है। यह पूजा रास पूर्णिमा के बाद शुक्रवार को होती है और इसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस दौरान तीन दिन का मेला भी लगता है, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है।

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