क्या मणिपुर में गिर जाएगी भाजपा सरकार..? समझिए विधानसभा का नंबर गेम

इम्फाल: मणिपुर में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। राज्य पहले से ही जातीय हिंसा से प्रभावित है, और ताजा घटनाओं ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ गया है। NPP ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेते हुए आरोप लगाया कि सरकार हिंसा प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने में असफल रही है। एनपीपी के अध्यक्ष ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर यह फैसला लिया। NPP के पास विधानसभा में 7 विधायक हैं, लेकिन उनके समर्थन वापस लेने से बीरेन सरकार पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। 

मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। भाजपा के पास 37 विधायक हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के अन्य दलों से 16 और विधायकों का समर्थन है। इसमें नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के 5, जेडीयू के 1 और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। ऐसे में एनपीपी के बाहर होने के बावजूद सरकार के पास बहुमत बना हुआ है।  राज्य में हाल ही में हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं। जिरीबाम जिले में उग्रवादियों ने 3 महिलाओं और 3 बच्चों की हत्या कर दी। इस घटना के बाद गुस्साए लोगों ने कई विधायकों और मंत्रियों के घरों पर हमला कर दिया और आगजनी की। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सात जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को मणिपुर की स्थिति पर समीक्षा बैठक की। अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी सभी रैलियां रद्द कर दिल्ली लौटकर अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।राज्य में हिंसा मई 2023 में शुरू हुई थी, जब मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। इसका विरोध करते हुए पहाड़ी जिलों के कुकी समुदाय ने जनजातीय एकता मार्च निकाला, जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच जातीय संघर्ष भड़क उठा। इस हिंसा में अब तक 220 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

मणिपुर में स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। राज्य में जातीय संघर्ष ने न केवल आम जनता की मुश्किलें बढ़ाई हैं, बल्कि सरकार के लिए भी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। केंद्रीय और राज्य सरकारें मिलकर शांति बहाल करने की कोशिश कर रही हैं।

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