'अकेले चुनाव लड़ेंगे, कोई गठबंधन नहीं..', संजय राउत के बयान ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी..!

मुंबई: INDIA गठबंधन में दरारें अब साफ दिखाई देने लगी हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने शनिवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी मुंबई और नागपुर में आगामी नगर निगम चुनाव अकेले लड़ेगी। यह फैसला गठबंधन के भीतर बढ़ते तनाव को उजागर करता है। राउत ने कहा, "हम मुंबई और नागपुर नगर निगम अपने दम पर लड़ेंगे। जो होगा, देखा जाएगा। उद्धव ठाकरे जी ने हमें संकेत दिया है, और मैंने इस पर नागपुर के पार्टी प्रमुख प्रमोद मनमोड़े से चर्चा की है।"  

संजय राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला पार्टी को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया है। उनका मानना है कि गठबंधन में कार्यकर्ताओं को लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलता, जिससे पार्टी की विकास यात्रा प्रभावित होती है। उन्होंने कहा, "हमें नगर निगम, जिला परिषद और नगर पंचायत में अपने दम पर लड़ना चाहिए और अपनी पार्टी को मजबूत करना चाहिए।"  संजय राउत की यह घोषणा स्पष्ट संकेत है कि उद्धव सेना और कांग्रेस के रिश्तों में खटास आ गई है। यह कदम INDIA गठबंधन के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है। इससे पहले, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी भी कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने के संकेत दे चुके हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली है।  

लोकसभा चुनावों के बाद से गठबंधन की एक भी बैठक नहीं हुई है। संजय राउत ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "INDIA गठबंधन की बैठक बुलाना कांग्रेस की जिम्मेदारी है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है।" भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने भी स्वीकार किया है कि लोकसभा चुनावों के बाद गठबंधन "विभाजित" हो गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस इस बिखरते गठबंधन को संभाल पाएगी? गांधी परिवार पर निर्भर कांग्रेस के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। सहयोगी दलों की नाराजगी और बार-बार किनारे किए जाने से कांग्रेस के लिए 2024 के चुनावों की राह मुश्किल होती दिख रही है।  

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस संकट से कैसे उबरती है। क्या वह नए सहयोगी जोड़कर अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश करेगी, या फिर अकेले मैदान में उतरने की हिम्मत दिखाएगी? गठबंधन की दरारों ने साफ कर दिया है कि गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस को अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।

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