नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गंभीर आरोपों वाले आपराधिक नेताओं को जमानत नहीं देने और उन जैसे नेताओं को दी गई जमानत को निरस्त करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका को सुनने से साफ मना कर दिया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) यूयू ललित ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी मांग संभव नहीं है। दरअसल, याचिका में कहा गया था कि, सभी गंभीर अपराध के आरोपी नेताओं को जमानत न दी जाए और जिन्हें जमानत मिल चुकी है, उनकी जमानत निरस्त कर दी जाए। इस पर CJI ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप अपनी याचिका वापस लें, नहीं तो हम इसे खारिज कर देंगे। इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। इस आधार पर शीर्ष अदालत ने भी याचिका को वापस लौटा दिया। दरअसल जघन्य आपराधिक मामलो में आरोपों का सामना कर रहे राजनेताओं को किसी भी कोर्ट से जमानत न दिए जाने और जिनको जमानत दी गई है उनकी जमानत निरस्त किए जाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया था कि कई ऐसे राजनेता हैं जो गंभीर अपराधों के आरोपी हैं या तो उनके ऊपर केस शुरू नहीं हुआ है या 5 साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी केस समाप्त नहीं हुए हैं। उन्हें जमानत न दी जाए और जिन्हे पहले जमानत दी जा चुकी है, वह रद्द कर दी जाए, लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को सुनने से ही इंकार कर दिया। यानी आगे भी आपराधिक नेताओं को नियमों के मुताबिक जमानत मिलती रहेगी। 'RSS से निकली है AAP, करती है भाजपा की मदद..', कांग्रेस नेता जयराम रमेश का दावा जस्टिस चंद्रचूड़ को CJI के रूप में शपथ लेने से रोकने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज कांग्रेस से इस्तीफा देंगे अशोक गहलोत ? पायलट के बयान से उठा सवाल