नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांगों पर विचार-विमर्श पूरा करने के लिए मोहलत मांगी है, जहां उनकी तादाद दूसरों से कम हो गई है। केंद्र सरकार ने कहा है कि यह मामला बहुत संवेदनशील है और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं के जवाब में सोमवार को दाखिल अपने चौथे हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि उसे इस मुद्दे पर अब तक 14 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों से टिप्पणियां प्राप्त हुईं हैं। याचिकाकर्ताओं ने परामर्श प्रक्रिया की कानूनी पवित्रता पर संदेह प्रकट करते हुए कहा है कि इस मामले में फैसले के बाद केंद्र किसी को भी अल्पसंख्यक के तौर पर अधिसूचित नहीं कर सकता है। सोमवार के दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श बैठकें की हैं। इन बैठकों में गृह मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग- कानून और न्याय मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग- शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (NCMEI) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। केंद्र सरकार ने कहा है कि, 'कुछ राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले पर अपनी राय बनाने से पहले तमाम हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श करने के लिए अतिरिक्त वक़्त मांगा है। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया था कि तात्कालिकता को देखते हुए इस मामले में उन्हें तेजी से कार्य करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य सरकार के विचारों को अंतिम रूप दिया गया है और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को शीघ्र-अतिशीघ्र अवगत कराया गया है।' केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि, 'चूंकि मामला संवेदनशील है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे। राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों और हितधारकों को सक्षम करने के लिए और अधिक वक़्त देने पर विचार करने की जरूरत है।' इस पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को छह महीने की मोहलत दी है। भारत के 52 हज़ार से अधिक ट्विटर हैंडल बैन, एलन मस्क के मालिक बनते ही ताबड़तोड़ एक्शन शुरू PM मोदी के हादसे वाली जगह पहुँचते ही ढक दिए Oreva कंपनी का बोर्ड, जानिए क्यों? सीएम योगी के निर्देश के बाद एक्शन में जितिन प्रसाद, PWD हेडक्वार्टर पहुंचकर लगाई अधिकारीयों की क्लास