नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ 2019 में हुए प्रदर्शनों के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में अरेस्ट किए गए JNU के छात्र नेता शर्जील इमाम की जमानत अर्जी पर बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब देने के लिए कहा है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब माँगा है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख मुक़र्रर की है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, शरजील इमाम ने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित रूप से भाषण दिये थे। उन्होंने इन भाषणों में असम और बाकी उत्तर पूर्व का संपर्क भारत से काटने की धमकी दी थी। इमाम ने मामले में जमानत से मना करने के एक लोअर कोर्ट के 24 जनवरी के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रथमदृष्टया राय व्यक्त की कि अदालत ने जमानत देने या इनकार करने के लिए संबंधित विचारों पर ध्यान नहीं दिया। अदालत ने पूछा कि उन्होंने (लोअर कोर्ट के न्यायाधीश ने) कुछ नहीं देखा। ये सारे अपराध सात वर्षों से कम सजा वाले हैं। हम पुलिस से पूछ रहे हैं कि उन्हें जमानत पर क्यों नहीं छोड़ा जाना चाहिए? क्या वह फरार हो सकते हैं? क्या वह सबूतों के साथ छेड़खानी कर सकते हैं? गवाह कौन हैं? इस पर अभियोजक ने कहा कि शरजील इमाम पर IPC की धारा 124 ए (राजद्रोह के लिए सजा) के तहत भी आरोप हैं जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अदालत ने कहा कि राजद्रोह में हिंसा के लिए उकसाने की बात होनी चाहिए। उसने कहा कि पुलिस को कोर्ट को समझाना होगा कि इमाम को जमानत क्यों नहीं मिलनी चाहिए। पूर्व पीएम राजीव गांधी के कातिल पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत '..उसे पेट्रोल डालकर लोगों के बीच जला दो', कांग्रेस की महिला विधायक का विवादित बयान मंत्रिमंडल ने विनिवेश के लिए एनएलएमसी की स्थापना को मंजूरी दी