क्या सिंगरौली के युवाओं का संघर्ष लाएगा क्रांति...

सिंगरौली: बिजली उत्पादन का हब कहा जाने वाला जिला सिंगरौली आज एक चरागाह बन कर रह गया है। शहर के नेता हो या सरकारी अधिकारी सिर्फ अपनी जेब भरने में लगे रहते हैं। आम जनता सिर्फ इन बड़े लोगों के पीछे अपनी समस्याओं के लिए दौड़ते रहते हैं किंतु निराशा के अलावा उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा। लेकिन जैसा इतिहास सिखाता है अपनी लड़ाई के लिए खुद संघर्ष करना पड़ता है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंगरौली के युवा हैं। 

सीधी से सिंगरौली जाने वाली NH 39 की हालत पिछले 12-15 वर्षो से दयनीय है किंतु न राज्य सरकार, न ही केंद्र सरकार इस मुद्दे की तरफ देख रही है। एक तरफ जहाँ योगी आदित्यनाथ के नेत्तृत्व में उत्तर प्रदेश की प्रगति तीव्र रफ़्तार पकड़ी हुई है वहींं शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश कछुआ की चाल चल रहा है।

जहाँ 296 किलोमीटर लम्बा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे मात्र 28 महीनो में बनकर तैयार भी हो गया वहीं मात्र 110 किलोमीटर लम्बा ये राष्ट्रीय राजमार्ग पिछले 12 वर्षो से बनते ही जा रहा है। टूटी-फूटी गड्ढों से भरी सड़को से हताश सिंगरौली व सीधी में स्तिथ जनता ने इस मामले को सरकार के कान में पहुंचाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है।

स्वतंत्रता दिवस के अगले ही दिन 16 अगस्त को युवाओं ने 110 किलोमीटर लम्बी पदयात्रा निकाली जिसमें अनेक राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के लोग सम्मिलित हुए। युवाओं का कहना है कि शायद यह संघर्ष सरकार तक पहुँच भी जाए और यहां के 110 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य फिर भी न शुरू हो, पर यह क्रांतिकारी कदम शहर की आने वाली पीढ़ी को याद रहेगा और अपने हक़ की लड़ाई स्वयं लड़ने की प्रेरणा देगा।

समाजसेवी प्रवीण सिंह चौहान व ज्ञानेन्द्र सिंह चौहान “बबलू भैया” अपने बहादुर युवा साथीयों के साथ 75 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं और 20 अगस्त तक पूरे 110 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर लेंगे। यात्रा के दौरान कई जगहों पर अनेक लोगों ने साथ देते हुए कुछ कदम इन क्रांतिकारी युवाओं के साथ भी बढ़ाया और तो और अपने शहर के विकास के लिए अपना पूरा सहयोग दिया।

 

इस साहसी और क्रांतिकारी कदम ने सरकार को झंझोर कर रख दिया है और संसद व विधायकों के माथे पर शिकन भी ले आयी है। जिसके बीच ही संसद रीती पाठक भोपाल पहुंचकर एमपीआरडीसी के कार्यकारी निर्देशक शशांक मिश्रा व अन्य अधिकारियों से मिलकर NH 39 के निर्माण कार्य के विषय में चर्चा की। अब देखने वाली बात तो यह है कि क्या सरकार वर्षो से रुके NH 39 के निर्माण कार्य को फिर से हरी झंडी दिखाएगी या यह संघर्ष सिर्फ इतिहास के पन्नों में विलीन हो जायेगा।

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