राजस्थान की राजनीति में बवाल बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया है. राजभवन और गवर्नमेंट के मध्य सीधे टकराव की परिस्थिति बन हुई नजर आ रही है. इन दिनों राज्य की राजनीति में सरकार सत्ता में बहुमत के आधार पर है, या नहीं है इसको लेकर भी अपने अपने अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐतिहासिक के पन्नों को पलटने से पता चलता है, कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाता है, पर ऐसा नहीं है, सत्ता पक्ष भी विश्वास प्रस्ताव लाकर गवर्नमेंट में बने रहने का दावा ठोकता है. बेंगलूरु के इस अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए बढ़ाए जाएंगे बिस्तर इतिहास पर नजर डाले तो, राज्य में गवर्नमेंट के गठन से लेकर अब तक 4 बार ऐसे अवसर आए हैं, जिसमें गवर्नमेंट विश्वास मत सदन में लेकर आई, और सत्ता में बने रहने का अधिकार विधानसभा से हासिल किया. वही, हमेशा अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष के विरोध में लाया जाता है, किन्तु विश्वास प्रस्ताव सरकार की तरफ से अपने लिए सत्ता में बने रहने के लिए पर्याप्त बहुमत हो चाहिए. वर्तमान राज्य की राजनीति में गहलोत गवर्नमेंट सम्भवतः विधानसभा सत्र बुलाकर विश्वास मत प्राप्त करना चाह रही है. कोरोना के आंकड़ों ने डराया, 24 घंटे में 48661 नए मामले, 705 की मौत बता दे कि राजस्थान विधानसभा के ऐतिहासिक पन्नों को देखने पर पता चलता है, कि विभिन्न गवर्नमेंट की तरफ से अब तक चार बार विश्वास प्रस्ताव सदन में पेश किया जा चुका है. इन 4 बार के विश्वास प्रस्ताव में 3 बार तो अकेले भैरों सिंह शेखावत सदन में लेकर आए हैं, और विश्वास प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल की हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पूर्व की सरकार यानी साल 2009 से 2013 के बीच में एक बार विश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे, और वह भी प्रस्ताव को पास करवाने में सफल हुए. ऐसी आशा जताई जा रही है, कि इस बार भी इतिहास सीएम अशोक गहलोत के लिए सहायक साबित हो सकता है. 'मन की बात' में बोले पीएम मोदी- कारगिल में भारतीय सेना के ऊँचे हौंसले और सच्ची वीरता की जीत हुई केरल में कोरोना का आतंक, एक दिन में सर्वाधिक 1103 नए संक्रमित मिले कारगिल विजय दिवस आज, पीएम मोदी ने शहीद जवानों को किया नमन