चंडीगढ़: 12 सितंबर को सिरसा के रामनगरियां गांव के पास स्थित श्री तारा बाबा की कुटिया में अभय सिंह चौटाला और गोपाल कांडा की मुलाकात ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के समीकरण को नया मोड़ दे दिया है। इस मुलाकात के बाद इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ-साथ हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) का भी समर्थन मिल गया है। इस गठबंधन को आगामी चुनावों में निर्णायक माना जा रहा है, जहां 5 अक्टूबर को मतदान और 8 अक्टूबर को मतगणना होनी है। अभय सिंह चौटाला, जो INLD का चेहरा हैं, अपनी पार्टी को हरियाणा की राजनीति में फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वे INLD के पुराने प्रभाव को फिर से हासिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस बार INLD ने BSP और HLP के साथ एक गठबंधन बनाया है, जिसे राजनीतिक विशेषज्ञ मास्टरस्ट्रोक मान रहे हैं। इस गठबंधन का उद्देश्य जाट और अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं को एकजुट करना है, जो विशेष रूप से बागड़ क्षेत्र में निर्णायक हो सकता है। INLD-HLP गठबंधन से जाट समुदाय के ग्रामीण और कृषि प्रधान क्षेत्रों में लाभ की संभावना है, जबकि BSP का अनुसूचित जाति के बीच मजबूत आधार है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस गठबंधन से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बन सकते हैं। विशेष रूप से बागड़ क्षेत्र में, जहां अब तक कांग्रेस का प्रभुत्व था, INLD के उदय ने नए विकल्प प्रदान किए हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की कथित उपेक्षा के कारण इस क्षेत्र के मतदाताओं में असंतोष बढ़ा है, जिसका लाभ INLD-बसपा-एचएलपी गठबंधन को मिल सकता है। यह गठबंधन अब एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रहा है, जो स्थानीय आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में INLD का राजनीतिक प्रभाव कमजोर हुआ था, लेकिन अब पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए कम से कम 30 सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की योजना बनाई है। पार्टी ने अपने संगठन का पुनर्गठन किया है और अपने पुराने मतदाताओं से दोबारा संपर्क साधा है, जिससे उन्हें आगामी चुनाव में एक मजबूत वापसी की उम्मीद है। अब यह सवाल उठता है कि क्या INLD का यह दलित-जाट गठबंधन हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत साबित होगा? क्या हरियाणा इस बार एक नए प्रकार की राजनीति देखने जा रहा है, जहां परंपरागत दलों के मुकाबले क्षेत्रीय गठबंधन ज्यादा प्रभावी साबित होंगे? आगामी चुनाव इन सवालों का जवाब देंगे, और यह भी तय करेंगे कि हरियाणा के मतदाता इस बार विकास चुनेंगे या जातीय समीकरण। 'वर्दी उतरवा दूंगा..', भाजपा पार्षद ने दी धमकी, ASI ने खुद फाड़ी खाकी, Video एक आतंकवाद का आरोपी, दूसरा प्रतिबंधित संगठन, जम्मू कश्मीर चुनाव में दोनों का गठबंधन डॉक्टरों को ममता बनर्जी का पांचवा और अंतिम निमंत्रण, क्या बन पाएगी बात ?