गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वस्तिक चिह्न भगवान गणेश का स्वरूप है, जिसमें सभी विघ्न-बाधाएं और अमंगल दूर करने की शक्ति है. पुराणों में स्वस्तिक को अविनाशी ब्रह्म की संज्ञा दी गई है. इसे धन की देवी लक्ष्मी यानी श्री का प्रतीक भी माना गया है. स्वस्तिक से जुड़े इन को तरीको अपनाएंगे तो घर में हमेशा बरकत और पॉजिटिविटी रहेगी. 1-घर के बहार कुमकुम सिन्दूर या रङ्गोलो से बनाया गया स्वस्तिक मंगलकारी होता है ,इसे बने से देवी देवता घर में प्रवेश करते है , 2-व्यापर नहीं बढ़ रहा है तो गुरुवार तक उत्तर -पूर्वी कोने को गंगाजल से धोकर हल्दी से स्वस्तिक बनाये और उसकी पूजा करे और इसके बाद गुड़ का भोग लगाए , 3-स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति राखी जाती है वह तुरंत प्रस्सन हो जाते है , यदि आप अपने इष्ट देव की पूजा करते है तो उस स्तन पर स्वस्तिक ज़रूर बनाये , 4-देव स्थान पर स्वस्तिक बना कर उसके ऊपर पञ्च धन्य या दीपक जल कर रखने से कुछ हे समय में मनोकामनाये पूरी होने लगती है , 5-मंदिर में मनोकामना पूर्ति हेतु गोबर या कुमकुम से उल्टा स्वस्तिक बनाया जाता है फिर जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो वही जाकर सीधा स्वस्तिक बनाया जाता है. क्या है दान देने का महत्व