नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बावजूद मोदी सरकार के प्रति किसानों का अविश्वास खत्म नहीं होगा और आने वाले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को किसानों को बुलाकर उनके मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए. सचिन पायलट ने एक इंटरव्यू में कहा कि अब मोदी सरकार चाहे कुछ भी करे, किसानों के मन से उस पीड़ा को खत्म करने में काफी देर हो चुकी है, जिसका सामना उन्हें कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान करना पड़ा. पायलट ने कहा कि, ‘भारत के इतिहास में किसानों द्वारा इतना लंबा आंदोलन नहीं देखा गया. यह पूरे एक साल चला है. यदि कानूनों को वापस ही लेना था तो लोगों की जान और जीविका को नुकसान पहुंचाने की क्या आवश्यकता थी. किसानों को नक्सलवादी, अलगाववादी और आतंकवादी बोला गया. मंत्री के रिश्तेदारों ने लोगों पर कार चढा़ दीं.’ पायलट ने सवाल किया कि यदि किसानों को लेकर इतनी कटुता थी तो फिर सरकार ने कानूनों को वापस लेने का ऐलान क्यों किया ? साथ ही, उन्होंने कहा कि, ‘निश्चित रूप से सियासी नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद यह फैसला लिया गया है.’ पायलट की तरफ से यह भी कहा गया कि मोदी सरकार को न केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देनी चाहिए, बल्कि उपज की खरीद सुनिश्चित करने के लिए भी कोई नियमन या कानून बनाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी को झटका, नहीं टलेंगे त्रिपुरा के निकाय चुनाव मुंबई हमला: 166 लोगों की मौत पर मौन थी कांग्रेस सरकार, आखिर क्यों PAK पर आया था प्यार ? गडकरी-योगी समेत कई नेताओं ने दी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को जन्मदिन की बधाई