लखनऊ: बच्चे को जन्म देने के समय मां की होने वाली मौत की एक मुख्य वजह होती है प्रसव के पश्चात् होने वाला रक्त स्त्राव. ऐसी ही एक घटना को राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के क्वीन मैरी अस्पताल ने बड़ी ही सरलता से संभाल लिया तथा मां की जान पर बना संकट टल गया. KGMU के प्रवक्ता डॉ. सुधीर ने कहा कि रक्त स्त्राव का केस प्रत्येक गर्भवती महिलाओं में नहीं होता है. ऐसे मामले 1 हजार महिलाओं में से 5 में ही देखने को मिलते हैं. ऐसे में इस मुश्किल हालात से गर्भवती महिला को बचा पाना बहुत ही अधिक कठिन होता है. हालांकि KGMU के चिकित्सकों ने महिला का प्रसव कराया तथा बच्चे की जान को भी बचाया. प्लेजेनटा एक्रेटा के जिस केस को उपचारित किया गया है उसके बारे में खबर देते हुए डॉ सुधीर ने बताया कि साढ़े 8 महीने की गर्भवती महिला जोकि सुल्तानपुर की रहने वाली थी. वह KGMU के क्वीन मैरी हॉस्पिटल में एडमिट हुई थी. इसी के चलते महिला को रक्तस्त्राव शुरू हो गया. तत्पश्चात, महिला का ऑपरेशन करना आवश्यक हो गया था तथा चिकित्सकों ने ऑपरेशन की तैयारी पूरी करके गर्भवती महिला को रेडियोलॉजी विभाग में शिफ्ट किया गया, जिससे महिला के गर्भाशय की नसों में बैलून डाल कर रक्त स्त्राव को रोका जा सके. चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के जन्म के पश्चात् महिला को हो रहे रक्तस्त्राव को रोकने के लिए नसों में डाले गए दोनों बैलून को तकरीबन 30 मिनट तक फूलाकर रखा गया. उन्होंने कहा कि बैलून इन्फ्लेशन प्रोसीजर का यह तरीका महिला की रक्तस्त्राव रोकने तथा उसकी जान को बचाने में कामयाब रहा. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का दावा है कि अभी तक उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल इंस्टीट्यूट में इस तरह का ऑपरेशन नहीं किया गया जिसमें महिला को बचाया जा सका हो. सावधान! हैकर्स का निशाना बना भारत, 48 घंटों में किए 3 आधिकारिक अकाउंट हैक निकोबार में महसूस हुए भूकंप के झटके, 4.9 रही तीव्रता जल जीवन मिशन देश को जीवन पर एक नया लक्ष्य दे रहा है: पीएम मोदी