इस्लाम में औरतें भी ले सकती हैं तलाक

रायपुर। देशभर में मुस्लिम समाज में तीन तलाक लिए जाने के मसले पर विवाद चल रहा है। जहां यह मामला न्यायालय और आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की मान्यताओं के बीच विवादित है तो दूसरी ओर इस मामले में मुस्लिम समाज के सर्वोच्च धर्मगुरूओं में से एक पैगंबर इस्लाम के वंशज खानकाहे आलिया अशरफिया जहांगीरिया किछौंछा के सज्जादानशीन हजरत अबुल हसन सैय्यद मोहम्मद अशरफ किछौंछवी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ तो लोगों का बनाया हुआ है और इस्लामिक लाॅ खुदा ने बनाया है।

इस्लामिक लाॅ कानून शरीत अल्लाह और पैगंबर इस्लाम का बनाया हुआ है। मगर इसके बाद भी लोगोंमें तलाक के मसले पर विवाद है। उन्होंने हा कि इस्लाम में यदि इस्लामिक लाॅ के महत्व को दे खा जाना है तो यह संविधान की तरह है। इसे सभी मुसलमान मानते हैं। उनका कहना था कि जो कानून इंसान ने बनाया है वह बदला जा सकता है मगर जो खुदा ने बनाया है उसे बदला नहीं जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आॅल इंडिया बज्मे अशरफ के माध्यम से वे यह अपील करना चाहते हैं कि इस्लामिक लाॅ को हर व्यक्ति फिर से समझे। यदि इसे समझा जाएगा तो पर्सनल लाॅ और इस्लामिक लाॅ में अंतर समझ में आ जाएगा। असन अशरफ ने कहा कि इस्लाम औरतों को मुश्किल में रखने का कार्य नहीं करता है। उन्होंने कहा कि आखिर औरतें भी तलाक ले सकती हैं। इस हेतु खुदा के कानून में प्रावधान किया गया है।

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