आईपीएल के प्ले ऑफ शुरू होने से पहले प्रदर्शनी मैच के तौर पर महिला आईपीएल मैच खेला गया था, मुंबई के वानखेड़े में खेले गए इस मैच में देश-विदेश की कई महिला खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. मैच शुरू होने से पहले तो इसे महिला क्रिकेट को आगे बढ़ने के लिए किए गए एक सार्थक और प्रशंसनीय प्रयास के रूप में देखा जा रहा था , लेकिन जैसे ही मैच शुरू हुआ और खिलाड़ी मैदान पर आए, तो बीसीसीआई की सारी पोल खुल गई. बीसीसीआई ने मैच का आयोजन तो करवा दिया था, लेकिन व्यवस्था के नाम पर वहां कुछ भी नहीं था. यहां तक कि खिलाड़ियों के लिए उचित क्रिकेट किट का भी अभाव दिखा. टीम के ड्रेस के कलर से मैच करने के लिए खिलाड़ियों के हेलमेट और पैड पर उसी रंग का कपड़ा चढ़ा दिया गया. हम पुरुषों का आईपीएल देखते हैं, जिसमे पानी की तरह पैसा बहाया जाता है, लेकिन महिला खिलाड़ियों के साथ किया गया ये व्यवहार न केवल दुखद बल्कि बेहद अपमानजनक भी है. बीसीसीआई की इस हरकत ने दूसरे देश से आई महिला खिलाड़ियों के मन में भी भारत की छवि धूमिल कर दी है. इसके अलावा भी मैच को लेकर कई प्रबंधकीय कमियां देखने को मिली, जैसे कि मैच के लिए मंगलवार का दिन रखा गया, जो वर्किंग डे है, महिला क्रिकेट को लेकर भारत में पहले ही जूनून नहीं है, ऐसे में मंगलवार को मैच रखने से स्टेडियम दर्शक शुन्य हो गया. मैच का समय भी दोपहर के 2 बजे रखा गया था, ऐसी भीषण गर्मी में महिला खिलाड़ी मैदान में उचित सामग्री के आभाव में भी जी जान लगाकर खेलती नज़र आई. इसमें भारतीय पुरुष क्रिकेटर भी आलोचना के पात्र हैं, क्योंकि एक खिलाड़ी होने के नाते, कम से कम वे मैदान पर उपस्थित रहकर महिला खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा सकते थे. हम चाहें बातें कितनी भी नारी शक्ति की कर लें लेकिन बात जमीनी स्तर की आती है तो औरत को ज़मीन ही दिखाई जाती है, मुद्दा आईपीएल का जरूर है लेकिन इसकी जड़ें काफी गहरी हैं ? महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हुई भारतीय टीम