इंदौर: कुटुंब न्यायालय इंदौर ने बेवजह मायके में रह रही पत्नी को भरण-पोषण के अंतरिम राहत का हकदार नहीं माना है, द्वारकापुरी इंदौर में माता-पिता के साथ रह रही मनीषा ने गंगानगर खरगोन निवासी पति शैलेन्द्र पिता सुरेश चन्द्रधनारे से विवाद कर उसके खिलाफ दहेज़ प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, विवाह विच्छेद और भरण-पोषण के केस लगा रखे हैं अपने आवेदन में उसने पति से 15 हजार रु. प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग की थी| शैलेन्द्र के वकील समीर वर्मा ने पैरवी कर कोर्ट को बताया कि शैलेन्द्र पत्नी मनीषा को साथ रखना चाहता है. लेकिन वह बेवजह अलग रह रही है. शैलेन्द्र के आवेदन पर द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश खरगोन ने एक माह के भीतर पति के साथ आकर रहने का आदेश दिया था. लेकिन वह नहीं आई. इस पर कुटुंब न्यायालय ने भरण-पोषण के आदेश को ख़ारिज कर दिया| अपने आवेदन में मनीषा ने शैलेन्द्र को इंजीनियर बताते हुए उसकी मासिक आय 35 हजार, निजी निवास और 8 एकड़थ आकर रहने का आदेश दिया था. लेकिन वह नहीं आई. इस पर कुटुंब न्यायालय ने भरण-पोषण के आदेश को ख़ारिज कर दिया. जमीन भी बताई थी, जबकि शैलेन्द्र ने कहा कि मनीषा के केसों के कारण बार बार कोर्ट आना पड रहा है, इससे वह कामकाज नहीं कर पा रहा है. मनीषा ग्रेजुएट है और ब्यूटी पार्लर से हर माह 10 हजार तक कमा रही है|