नई दिल्ली : महिलाएं अब प्रादेशिक सेना में भर्ती हो सकेंगी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिलाओं को भर्ती से बाहर रखने वाले केन्द्र के विज्ञापनों को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में इन विज्ञापनों को संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है. उल्लेखनीय है कि अपने निर्णय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने विज्ञापनों में दी गई महिलाओं की भर्ती पर पाबंदी की बात को अतार्किक और अतर्कसंगत मानते हुए इसे खारिज कर दिया .पीठ ने स्पष्टकिया कि प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948 की धारा 6 में ‘‘कोई भी व्यक्ति’’ शब्दों में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं. अदालत ने यह भी कहा कि अधिनियम का कोई भी प्रावधान जो प्रादेशिक सेना में महिलाओं की भर्ती पर रोक या प्रतिबंध लगाता है वह संविधान के तहत प्रदत्त समता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है. बता दें कि इस विषय को लेकर वकील कुश कालरा ने जनहित याचिका याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में प्रादेशिक सेना में महिलाओं की नियुक्ति के मामले में भेदभाव करने का आरोप लगाया गया था.प्रादेशिक सेना एक ऐसा संगठन है जिसमें स्वयंसेवकों को आपात स्थिति के समय देश की रक्षा करने के लिए सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है.प्रादेशिक सेना में अभिनेता मोहनलाल, क्रिकेटर कपिल देव तथा एमएस धोनी मानद सदस्य हैं जिनके पास वरिष्ठ पद हैं. यह भी देखें दिल्ली हाईकोर्ट - “क्या पुलिस बत्तख की तरह काम करती है” दिल्ली हाई कोर्ट ने कोड़ा की सजा पर रोक लगाई