तीन तलाक़ की खिलाफत करने वाली महिलाओं का बुरा हाल, क्या भाजपा कर पाएगी कमाल ?

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन तलाक विधेयक को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है. पार्टी इस विधेयक के माध्यम से अल्पसंख्यकों के एक वर्ग को लुभाने का प्रयास कर रही है, जबकि तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली महिलाएं अपने गुजारे के लिए संघर्ष कर रही हैं.

लोकसभा चुनाव के लिए हाल ही में जारी किए गए घोषणापत्र में भाजपा ने संकल्प लिया है कि अगर वह फिर से सत्ता में आई तो फौरी तलाक और निकाह हलाला की प्रथाओं को समाप्त कर देगी. विपक्ष के कड़े विरोध की वजह से भाजपा संसद में इस विधेयक को कानून की शक्ल देने में विफल रही थी. भाजपा के महिला मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राहतकर ने बताया है कि तीन तलाक विधेयक को पारित करने की नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयास वर्तमान लोकसभा चुनाव में 'बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर सकारात्मक परिणाम लाएंगे.' 

वहीं दूसरी तरफ, तीन तलाक के विरोध में आवाज बुलंद करने वाली इशरत जहां, शायरा बानो और अतिया साबरी गरीबी में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. उनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है. यही महिलाएं तीन तलाक को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. अदालत ने 2017 में अपने ऐतिहासिक फैसले में इस प्रथा को 'अवैध' और 'असंवैधानिक' करार दिया था. 

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