हिंदी सिनेमाजगत का एक दूसरा नाम भी है. जिसे हम बॉलीवुड कहकर पुकारते हैं इसको यहां तक पहुंचाने में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है. यदि महिलाएं उस दौर में समाज की बंदिशें नहीं तोड़ती तो आज का बॉलीवुड और इसका खुलापन हमारे सामने नहीं आता.आजादी के बाद जब भारत में फिल्‍मों का निर्माण शुरू हुआ तो महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी गलत माना जाता था. आपको ये जानकर हैरत हो सकती है कि शुरुआती दौर की फिल्‍मों में महिलाओं का किरदार भी पुरुष ही निभाते थे. ऐसे में महिलाओं के लिए थियेटर और फिल्‍मों से जुड़ना वास्‍तव में क्रांतिकारी फैसला था. आज हम ऐसी ही कुछ अदाकाराओं के बारे में बता रहे हैं जिन्‍होंने भविष्‍य के सिनेमा में महिलाओं की सफलता की नींव रखी थी. WHO ने कोरोना वायरस को लेकर बोली हैरतअंगेज बात आपकी जानकारी के लिए बता दे कि देविका रानी को भारतीय सिनेमा की पहली नायिका कहा जाता है. विख्यात कवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर विशाखापत्तनम में पैदा होने वाली देविका के चचेरे परदादा थे. उनके पिता कर्नल एमएन चौधरी मद्रास के पहले 'सर्जन जनरल' थे. देविका क्‍योंकि एक पढ़े लिखे और काफी संभ्रांत परिवार से ताल्‍लुक रखती थीं इसलिए उन्‍हें परिवार की बंदिशों का तो सामना नहीं करना पड़ा लेकिन समाज की शुरुआती सोच उनके प्रति ठीक नहीं थी. उन्‍होंने लंदन से थियेटर की शिक्षा ली थी. कमलनाथ सरकार ने इस कार्यवाही से भाजपा पर किया पलटवार इस दौरान उनकी मुलाकात हिमांशु राय से हुई. हिमांशु राय ने देविका रानी को लाइट ऑफ एशिया नामक अपने पहले प्रोडक्शन के लिया सेट डिजाइनर बनाया. सन् 1929 में उन दोनों ने विवाह कर लिया. भारत आकर हिमांशु राय ने फिल्में बनाना शुरू किया और इनमें देविका बतौर नायिका बनीं. वर्ष 1933 में उनकी फिल्म कर्मा प्रदर्शित हुई और इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग देविका रानी को कलाकार के स्थान पर स्टार सितारा कहने लगे थे. इस तरह देविका रानी भारतीय सिनेमा की पहली महिला फिल्म स्टार बनीं. इस दिन होगी राम मंदिर ट्रस्ट की दूसरी बैठक बीजेपी ने साधा उद्धव पर निशाना, चुप्पी को लेकर उठाए सवाल निर्भया केस : स्मृति ईरानी के बयान से जगी उम्मीद, कानून का दुरुपयोग हो सकता है खत्म