बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। सरकार महिलाओं को पीरियड्स के चलते वर्ष में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। इस सिलसिले में श्रम मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें मासिक 6 दिन की छुट्टी की सिफारिश की गई है। समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने रिपोर्ट में वर्ष में 6 दिन की मासिक छुट्टी का सुझाव दिया है। कर्नाटक के मंत्री संतोष लाड ने बताया कि समिति की बैठक शनिवार को होगी तथा इसे एक प्रक्रिया के तहत सरकार की मंजूरी से गुजरना होगा। वे इस प्रस्ताव को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। वही इस वर्ष जुलाई में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड लीव पर एक मॉडल नीति बनाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि नियोक्ताओं के लिए ऐसी छुट्टी देना अनिवार्य बनाना महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी के लिए प्रतिकूल होगा। भारत में पीरियड लीव के लिए कोई केंद्रीय कानून या नीति नहीं है। 2020 में जोमैटो ने पीरियड लीव की घोषणा की थी, जिसके तहत प्रत्येक वर्ष 10 दिन की पेड लीव मिलती है। तत्पश्चात, कई स्टार्टअप्स ने भी ऐसी छुट्टियां देने की शुरुआत की। भारत में सिर्फ 3 राज्यों—बिहार, केरल, और सिक्किम—में पीरियड लीव से संबंधित नियम हैं। बिहार पहला राज्य था, जिसने 1992 में अपने महिला कर्मचारियों को हर महीने दो दिन की पीरियड लीव का अधिकार दिया। यह छुट्टी 45 वर्ष की उम्र तक उपलब्ध है। बीते वर्ष जनवरी में, केरल के सीएम पिनराई विजयन ने सरकारी विश्वविद्यालयों की छात्राओं के लिए पीरियड लीव का ऐलान किया था एवं 75 प्रतिशत की जगह 73 प्रतिशत अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई थी। इस वर्ष मई में, सिक्किम उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री में काम करने वाली सभी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने का फैसला लिया है। हालांकि, केंद्रीय स्तर पर इस संबंध में कोई कानून या नीति नहीं है। पीरियड लीव पर राजनीति संसद में कई बार इस विषय पर प्राइवेट बिल पेश किए गए, लेकिन उन्हें अनदेखा कर दिया गया। बीते वर्ष दिसंबर में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि पीरियड्स के लिए छुट्टी की आवश्यकता नहीं है, यह कोई बीमारी नहीं है। उनका तर्क था कि इस पर कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत में लंबे वक से पेड पीरियड लीव की मांग उठती रही है, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी। केंद्र सरकार भी पेड पीरियड लीव का विरोध करती है, यह कहते हुए कि इससे महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी कम हो सकती है। कुछ का तर्क है कि इससे कंपनियां महिलाओं को नौकरी पर रखने से बचेंगी। इसके अतिरिक्त, यह भी कहा जाता है कि पेड पीरियड लीव का गलत फायदा उठाया जा सकता है। हालांकि, आंकड़े इसका खंडन करते हैं। जापान के सरकारी सर्वे के मुताबिक, 2017 में सिर्फ 0.9 प्रतिशत महिलाओं ने पीरियड लीव ली थी। इसी तरह, दक्षिण कोरिया में भी 20% से कम महिलाओं ने इस छुट्टी के लिए आवेदन किया था। इंदौर में कांग्रेस की न्याय यात्रा, पुलिस ने रास्ता रोकने खड़े कर दिए डंपर 'टारगेट पर सिर्फ हनुमान मंदिर…', कालबेलिया सरगना की लाल किताब से हुए चौंकाने वाले खुलासे 'DVC से तोड़ देंगे संबंध, फंड दे सरकार', ममता बनर्जी ने PM-मोदी को लिखा पत्र