वुमन आर्मी भर्ती में भेदभाव के आरोप

सेना में महिलाओं की भर्ती और पदों को लेकर लम्बे समय से विवाद रहा है. साल 1992 में महिलाओं की स्पेशल एंट्री के जरिये भर्ती अस्थायी तौर पर की जानी शुरू हुई थी, लेकिन कोई स्थायी आयोग या प्रावधान नहीं था न अब है. ऐसे में हाईकोर्ट में केंद्र ने उन दो याचिकाओं को विरोध किया है, जिनमें आर्मी की इंजीनियरिंग और एजूकेशन कोर में महिला कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में संस्थागत रूप से भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है.

साथ ही केंद्र सरकार ने इन याचिकाओं को खारिज करने की मांग भी की. हाईकोर्ट की मुख्य कार्यकारी न्यायमूर्ति गीता मित्तल के समक्ष आर्मी पक्ष ने दलील दी कि जिन पदों पर महिलाओं की भर्ती को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया गया है, उन पदों पर महिलाओं की स्थायी तौर पर भर्ती नियमो के हिसाब से नहीं की जाती है.

वही इस पुरे मामले में दायर याचिका में मांग की गई है कि आर्मी अधिकारी बताएं कि इंजीनियरिंग और एजूकेशन कोर में किन आधारों पर अविवाहित पुरुषों की भर्ती की जाती है और महिलाएं उन पदों के लिए क्यों अयोग्य हैं. फ़िलहाल कोर्ट ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है साथ ही कोर्ट का कहना है कि आर्मी के नियमावली को देखने के बढ़ ही मामले में कुछ कहा जा सकता है.

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