नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज शुक्रवार (22 सितंबर) को महिला आरक्षण विधेयक की प्रशंसा तो की, लेकिन साथ ही इसे "जातिगत जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने की रणनीति" बताया। बता दें कि, लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने वाला यह बिल बीते 27 सालों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था, संसद का विशेष सत्र शुरू होने से ठीक पहले मोदी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी और फिर दोनों सदनों में पेश किया। जहाँ ये बिल प्रचंड बहुमत से पारित हुआ। कांग्रेस की प्रमुख नेता सोनिया गांधी ने दावा करते हुए कहा था कि, यह बिल राजीव गांधी का सपना था, और ये हमारा है। इस तरह से उन्होंने महिला आरक्षण का क्रेडिट कांग्रेस को देने का प्रयास किया था। वहीं, अब राहुल गांधी ने महिला आरक्षण को ध्यान भटकने की रणनीति करार दिया है। आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि, 'महिला आरक्षण अच्छी बात है, लेकिन हमें दो फुटनोट मिले- एक ये कि बिल लागू होने से पहले जनगणना करानी होगी और दूसरा परिसीमन।' राहुल गांधी ने बिल के कार्यान्वयन की समयसीमा पर सवाल उठाते हुए कहा कि, 'कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। यह OBC जनगणना से ध्यान भटकाने वाली रणनीति है।' राहुल ने कहा कि, 'सच्चाई यह है कि आरक्षण आज लागू किया जा सकता है। यह कोई जटिल मामला नहीं है, मगर सरकार ऐसा करना नहीं चाहती। सरकार ने इसे देश के सामने पेश कर दिया है लेकिन इसे अब से 10 साल बाद लागू किया जाएगा।' यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस बात का अफसोस है कि 2010 में UPA द्वारा लाए गए विधेयक के तहत OBC कोटा प्रदान नहीं किया गया था, राहुल गांधी ने कहा कि, "100 प्रतिशत अफसोस है। यह तभी किया जाना चाहिए था। हम इसे पूरा करेंगे।" बता दें कि, राज्यसभा में मौजूद 214 सांसदों द्वारा इसके पक्ष में मतदान करने के बाद गुरुवार को संसद ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया। 128वें संविधान संशोधन विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा जाता है, को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन अभ्यास के बाद लागू किया जाएगा, जिसके बारे में सरकार ने कहा है कि इसे अगले साल शुरू किया जाएगा। दरअसल, जनगणना के बाद परिसीमन से यह स्पष्ट होगा कि, किस राज्य की कितनी आबादी है, क्योंकि संविधान प्रति 10 लाख की आबादी पर एक सांसद की बात कहता है। ऐसे में पहले जनगणना करके आबादी के आंकड़े जुटाए जाएंगे, फिर उन आंकड़ों के आधार पर लोकसभा सीटों का परिसीमन किया जाएगा। मौजूदा समय में देश में लोकसभा की 545 सीटें हैं, जिनमे से 543 पर चुनाव होता है और 2 सीटे ऐंग्लो इंडियन समुदाय के लिए रिजर्व है जिन्हें राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। जनगणना और परिसीमन के बाद लोकसभा सीटें बढ़कर 753 होने का अनुमान है। ऐसे में महिलाओं को उन संभावित 753 सीटों में से 33 फीसद सीटों पर आरक्षण दिया जाएगा, उनमे से भी कौन सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, इसका निर्णय चुनाव आयोग करेगा। हालाँकि, महिलाएं किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन 33 फीसद सीटें केवल उनकी लिए ही आरक्षित होंगी। 27 वर्षों से यह बिल लंबित पड़ा हुआ था, इस दौरान न जाने कितनी सरकारें आई और गईं, 10 वर्षों तक पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन वो भी बिल को पारित नहीं करवा पाई। अब जब बिल संसद में पास हो गया है, तो कुछ वर्षों में यह लागू भी हो ही जाएगा। 'भाजपा-RSS, मोदी, भारत में बोलने की आज़ादी नहीं..', नॉर्वे की यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी का भाषण, कांग्रेस ने जारी किया वीडियो राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड का YouTuber मुहम्मद यासीन, पहुंचा अफगानिस्तान, मुस्लिमों से 'तालिबान' ज्वाइन करने को कहा 'लालू यादव हाजिर हों..', कोर्ट का आदेश, देखें वो 7 मामले, जिनमे लोगों से 'जमीन' लेकर रेलवे में दी गई नौकरी