मुंबई: मी टू अभियान के बाद कार्यस्थलों पर करीब 80 फीसदी पुरुष महिला सहकर्मियों के साथ संवाद में अत्यधिक सतर्कता बरतने लगे हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि मार्केट रिसर्च एंड एनालिसिस कंपनी वेलोसिटी एमआर द्वारा कराए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इस अभियान के कारण कार्यस्थल का औपचारिक संवाद अत्यधिक प्रभावित हुआ है। आरएसएस निकालेगा राम मंदिर मुद्दे पर रथयात्रा, दिल्ली से शुरू होगा संघ का नया मिशन वहीं इस अध्ययन में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई के 2,500 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस रिपोर्ट में करीब 80 फीसदी लोगों ने कहा कि नौकरी छूटने व पारिवारिक प्रतिष्ठा खोने का डर, सामाजिक कलंक और विभिन्न संशय जैसे कुछ कारण हो सकते हैं, जिनके कारण पीड़ितों ने पहले ऐसे मामलों को दर्ज करना उचित नहीं समझा होगा। वहीं करीब 70 फीसदी लोगों ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद भी पीड़ितों को असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा 50 फीसदी लोगों ने पीड़ितों द्वारा मामले को बाद में दर्ज किए जाने को गलत कहा है। यौन उत्पीड़न के आरोप में महिला हुई गिरफ्तार, 17 साल के लड़के से की थी शादी गौरतलब है कि देश में बीते दिनों मी टू नाम के वायरस ने ज्यादातर पुरूषों को अपना शिकार बनाया था। वहीं बता दें कि पांच में से दो पुरुषों ने पीड़ितों का यह कहकर समर्थन किया कि मामले को बाद में दर्ज किया जाना सही है। यहां बता दें कि 10 में से सात लोगों ने कहा कि पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करने से वे उत्पीड़न के बारे में खुलकर बोल सकेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही मी टू अभियान के अधिकतर मामले मीडिया और बॉलीवुड से आ रहे हैं, लेकिन करीब 77 फीसद प्रतिभागी दूसरे उद्योगों को भी सुरक्षित नहीं मानते हैं। खबरें और भी हॉकी वर्ल्डकप: न्यूजीलैंड ने फ्रांस को 2-1 से हराया लोकसभा चुनाव 2019: अमित शाह लड़ सकते हैं 2019 का लोकसभा चुनाव रसोई गैस सिलेंडर 30 नवंबर के बाद हो सकता है सस्ता