नई दिल्ली : भारत में पहचान पत्र के तौर पर प्रचलित ‘आधार कार्ड’ व्यवस्था का विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) भी मुरीद हो गया है. वर्ल्ड बैंक ने भारत के इस कार्य की सराहना की है. साथ ही वर्ल्ड बैंक ने यूआई एडीआई (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से यह भी कहा है कि वो भारत में अपने अनुभव अन्य देशों से साझा करे. इस बारे में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीईओ अजय भूषण पांडे ने एक अखबार को बताया कि नाइजीरिया ने वर्ल्ड बैंक के तत्वाधान में आधार कार्ड मॉडल का अध्ययन करने के लिए एक टीम भारत भेजने का फैसला किया है. इसी उद्देश्य से तंजानिया की एक टीम इसी महीने भारत आ रही है. उन्होंने कहा यह सब वर्ल्ड बैंक के आइडेंटिफिकेशन फॉर डिवेलपमेंट) अभियान के अंतर्गत हो रहा है. हम नॉलेज एक्सचेंज के जरिए यहां आने वाली टीमों को हर सम्भव मदद देंगे. बता दें कि भारत के आधार कार्ड मॉडल को समझने के लिए अफगानिस्तान और बांग्लादेश की टीमें भारत आ चुकी हैं यह देश आधार कार्यान्वयन से सीख लेना चाहते है और इसी लिए तंजानिया से एक टीम जल्द ही भारत आ सकती है. दरअसल आधार कार्ड को लेकर दुनिया की दिलचस्पी इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि भारत में सबसे बड़ा बायोमेट्रिक आइडेंटिटी डेटाबेस है. वह इस मामले में अफ्रीका और एशिया के कई देशों से काफी आगे है. हालांकि इन देशों के नागरिकों के पास डेटाबेस है, लेकिन वह पेपर बेस्ड रजिस्टर रिकॉर्ड्स तक ही सीमित है. तमाम देश यह जानना चाहते हैं कि कैसे 100 करोड़ से ऊपर का मजबूत बायोमेट्रिक डेटाबेस कैसे तैयार हुआ. केंद्र सरकार को थमाया हाई कोर्ट ने नोटिस, आधार कार्ड पर छात्रवृत्ति क्यों?