हर साल 14 नवंबर को वर्ल्‍ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। विश्‍व मधुमेह दिवस को अंतरराष्‍ट्रीय मधुमेह संघ और विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा वर्ष 1991 में शुरू किया गया था। यहां बता दें कि प्रत्‍येक वर्ष डायबिटीज डे का अलग लक्ष्‍य होता है और इस वर्ष मधुमे‍ह दिवस का लक्ष्‍य है, डायबिटीज के विषय में लोगों को शिक्षित करना। यदि किसी को डायबिटीज की समस्‍या हो जाती है, तो इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना असंभव है। लेकिन यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इससे होने वाले खतरों से बचाव किया जा सकता है। असम में राजनितिक पारी की शुरुआत करेगी तृणमूल, पंचायत चुनाव में उतारेगी उम्मीदवार यहां बता दें कि डायबिटीज कई बार प्राकृतिक या आनुवांशिक कारणों से होती है। भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्‍या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार बता दें कि साल 2017 में डायबिटीज के 72 मिलियन मामले सामने आए हैं। अगर यही हाल रहा तो साल 2025 तक इसके लगभग दोगुने मामले होने की उम्मीद है। वहीें विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ना तो चिंता की बात है ही लेकिन चिंता का असली कारण यह भी है कि किस उम्र के लोगों को यह बीमारी अधिक हो रही है। अद्भुत: 3 साल की उम्र में सुनाता था स्वरचित कविता, 11 की उम्र में लिख डाली 60 किताबें गौरतलब है कि पश्चिम में अधिकतर लोगों को उम्र के छठवें दशक में मधुमेह होता है, जबकि भारत में 30 से 45 वर्ष की आयु में ही इस बीमारी की दर सबसे अधिक है। आज के इस नवीन युग में शुगर के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसके अलावा युवाओं में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। यहां बता दें कि यदि एक बार आपको शुगर जैसी बीमारी होती है तो फिर आपको आगे चलकर गंभीर बीमारी होने का भी खतरा बढ़ जाता है। खबरें और भी उत्तराखंड में खतरनाक दर से सिकुड़ रही है धरती, भूकंप के रूप में सामने आ सकते हैं परिणाम सबरीमाला विवाद: सुप्रीम कोर्ट के तुरंत सुनवाई से मना करने पर सीएम ने बुलाई सर्वदलीय बैठक children's day 2018 : देश भर की हस्तियों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस तरह दी श्रंद्धांजलि