उच्च हिमालयी क्षेत्रों में साल दर साल तेजी से बढ़ रहा ब्लैक कार्बन हिमालय की सेहत को बिगाड़ रहा है। वहीं वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के शोध में खुलासा हुआ है कि इन क्षेत्रों में 0.01 से लेकर 4.62 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की दर से ब्लैक कार्बन जमा हो रहा है। वहीं यह कार्बन न सिर्फ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर के पिघलने की गति तेज कर रहा है, बल्कि इन क्षेत्रों के वन्यजीवों और पेड़ पौधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। दुनिया में यह पहली बार है जब वाडिया के वैज्ञानिकों ने ‘रियल टाइम ऑल वेदर डाटा’ के जरिये अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लैक कार्बन सूर्य से आने वाली पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने के साथ ही इन्फ्रारेड के रूप में उन्हें उत्सर्जित कर रहा है जिसका सीधा असर हिमालयी क्षेत्र के तापमान और ग्लेशियरों पर पड़ रहा है। वहीं वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के मुताबिक उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरण का अध्ययन किया जा सके इसके लिए गंगोत्री से आगे भोजवासा और चीड़वासा में मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए हैं। दुनिया में यह पहली बार है जब वाडिया की ओर से इतनी ऊंचाई पर स्टेशनों की स्थापना की है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी का कहना है कि फिलहाल देशभर में 22 वेधशालाएं स्थापित हैं। जिसमें कई वैज्ञानिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। परन्तु , यह पहली बार है जब हिमालयी क्षेत्रों में ब्लैक कार्बन के चलते पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने को लेकर मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना की है।वैज्ञानिकों की मानें तो ब्लैक कार्बन हरियाणा और पंजाब के विभिन्न इलाकों में हर साल जलाई जा रही पराली की वजह से पहुंच रहा है। इसके अलावा यूरोपीय देशों के कार्बन उत्सर्जन का भी खासा असर पड़ रहा है। आतंकी और सुरक्षाबलों में जबरदस्त मुठभेड़, एक आतंकवादी ढेर जम्मू कश्मीर के राजौरी में मुठभेड़ जारी, एक आतंकी ढेर जम्मू कश्मीर पुलिस दल पर आतंकियों ने किया हमला, सर्च ऑपरेशन जारी