भारत को इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का वैश्विक मेजबान घोषित किया गया है. भारत ने विकास कार्यों और पर्यावरण संरक्षण के बीच बेहतर संतुलन कायम किये जानें के प्रयास किये है. पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्लास्टिक उत्पाद से होने वाले प्रदुषण ने वातावरण को आज इस कदर प्रदूषित कर दिया है कि विश्वभर के लिए एक चिंताजनक विषय बन चूका है. भारत इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का वैश्विक मेजबान होगा और इस वर्ष आयोजन की थीम ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति’’ होगी. संयुक्त राष्ट्र ने दिल्ली सहित अन्य महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने से लिए भारत के प्रयासों को अत्यधिक उत्साहजनक बताते हुए इसे विश्व के लिए अनुकरणीय बताया है. पृथ्वी आकाश,जल, वायु, प्रकृति का कण कण प्रदूषण की चपेट में है. जरुरत है कदम उठाये जानें की. ब्रह्माण्ड में ओजोन से लेकर समुद्र की गहराई तक मानव निर्मित कारणों से दूषित हो चुकी है. जिसका खामियाजा प्रकृति और उसके जीव भुगत रहे है. हालात बेकाबू हो चले है और वैश्विक प्रयास इसका एक उपाय हो सकते है. इसी क्रम में जब दुनियाभर ने इसका महत्त्व और गंभीर परिणामों को जाना और सोचा तो एक सार्थक पहल के रूप में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जानें लगा. इसके जरिये जागरूकता फ़ैलाने का काम किया जा रहा है. मगर सिर्फ एक दिन की जागरूकता से इसकी भयावहता से किनारा नहीं किया जा सकेगा. सरकार के साथ साथ आम जन को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए धरती को बचाने और प्रकृति को सुरक्षित रखने हेतु संकल्पित होना होगा......... प्रदुषण के कारण लंदन में बने 'पॉल्यूशन पॉड' क्या सिर्फ एक दिन 'पर्यावरण दिवस' मनाने से प्रकृति हो सकती हैं सुरक्षित? भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने में सफल होगा - डॉ. हर्षवर्धन पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए एक नई पहल