'World Environment Day' पर कविताएँ

पर्यावरण को बचाना हमारा ध्येय हो, सबके पास इसके लिए समय हो, पर्यावरण अगर नहीं रहेगा सुरक्षित, हो जायेगा सबकुछ दूषित.

भले ही आप पेड़ लगाये एक, पूरी तरह करे उसकी देखरेख, सौर उर्जा का करे सब उपयोग, कम करे ताप विद्युत् का उपभोग.

रासायनिक खाद का कम करे छिडकाव, भूमि को प्रदूषित होने से बचाव, कचड़ो का समुचित रीती से करो निपटारा, फैक्ट्रियो में जब सौर यन्त्र लगाई जाएँगी, वायु प्रदुषण में अपने आप कमी आएँगी.

तब जाकर पर्यावरण प्रदुषण में कमी आएँगी, आधी बीमारिया अपने आप चली जाएगी.

 

प्रकृति ने अच्छा दृश्य रचा, इसका उपभोग करें मानव. प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करके, हम क्यों बन रहे हैं दानव.

ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये, सब हैं प्रकृति के वरदान. इसे नष्ट करने के लिए, तत्पर खड़ा है क्यों इंसान.

इस धरती ने सोना उगला, उगलें हैं हीरों के खान. इसे नष्ट करने के लिए, तत्पर खड़ा है क्यों इंसान.

धरती हमारी माता है, हमें कहते हैं वेद पुराण. इसे नष्ट करने के लिए, तत्पर खड़ा है क्यों इंसान.

हमने अपने कूकर्मों से, हरियाली को कर डाला शमशान. इसे नष्ट करने के लिए, तत्पर खड़ा है क्यों इंसान.

 

बहुत लुभाता है गर्मी में, अगर कहीं हो बड़ का पेड़. निकट बुलाता पास बिठाता, ठंडी छाया वाला पेड़.

तापमान धरती का बढ़ता, ऊंचा-ऊंचा, दिन-दिन ऊंचा. झुलस रहा गर्मी से आंगन, गांव-मोहल्ला कूंचा-कूंचा.

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