बचपन से हमने यही पढ़ा है कि हमारे चारों और फैला हुआ शुद्ध वातावरण ही पर्यावरण है लेकिन जिस तरह आज के समय में प्रकृति की सुंदरता पर गंदे दागों के ढेर पड़े हुए है उनसे तो ये बात जाहिर होती है कि आज के समय में प्रकृति तो है पर वह शुद्ध नहीं है. प्रकृति से ही मनुष्य है, बगैर प्रकृति मानव जीवन यापन करने के बारे में सोच भी नहीं सकता है. हवा, पानी, अन्न, के बगैर इस धरती पर मनुष्य एक पल नहीं टिक सकता. तो आखिर क्यों ये सब जानते हुए भी आज का मनुष्य प्रकृति की सुंदरता पर दाग लगाता है जब वह किसी से तकलीफ नहीं चाहता है तो वह बगैर सोचे समझे प्रकृति को क्यों दुःख पहुंचाता है. कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब जब व्यक्ति के जहन में आने लगेंगे तो प्रकृति के चेहरे से उदासी हट जाएगी. आज का समय ऐसा हो गया है कि व्यक्ति अपने अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचता है. वहीं बच्चे भी प्रकृति से दूर होते जा रहे है आज के समय में बच्चे प्रकृति से नहीं बल्कि सोशल मीडिया या फिर यूँ कहे कि टेक्नीकल चीजों से ज्यादा जुड़ रहे है. और सबसे बड़ी बात तो यह है कि हमारे विद्यालयों में प्रकृति के संबंध में कोई आवश्यक कक्षाएं नहीं हैं, न ही प्रकृति बच्चों को उनके चारों ओर की दुनिया के बारे में गंभीर रूप से सोचने के लिए एक अच्छी तरह से उपयोगी उपकरण है. जैसा कि आप सभी जानते है कि प्रकृति हम से कभी कुछ नहीं लेती वह सिर्फ हमें देने का ही काम करती है, प्रकृति से जुड़े रहना ही संसार का नियम है, खुद को और अपने पूरे परिवार को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति से जुड़ना बेहद जरुरी है. ये भी पड़े 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर देश भर में चलेगा 'नो प्लास्टिक' अभियान विश्व पर्यावरण दिवस: पेरिस जलवायु समझौते की राह में रूकावट 'पर्यावरण संरक्षण' से सम्बंधित जोक