आज के वक्त में इंसान की बदलती लाइफस्टाइल का प्रभाव जीवन पर बहुत जल्दी पड़ रहा है। देखा जाए तो छोटे बच्चों से लेकर बूढे लोग डिप्रेशन जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं डिप्रेशन का असर लोगों पर इतना अधिक पड़ रहा है कि वह सुसाइड तक करने लगे हैं। आप देख सकते हैं जीवन में कुछ अचीव नहीं कर पाना, अपेक्षाओं को बोझ, एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ ये कुछ ऐसी बातें हैं जो इंसानों को घेर रही है। हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे) पूरी दुनिया में मनाया जाता है। अजवाइन: जितनी लाभदायक उतनी ही नुकसानदायक विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को हर साल सेलिब्रेट करने का खास उद्देश्य यह है कि मानसिक बीमारियों के प्रति अवेयरनेस फैलाना। सन् 1992 में इस दिवस की पहल की गई थी। भारत में आज के वक्त में महिलाएं सबसे ज्यादा इस बीमारी का शिकार है। ग्लोबल बर्डन आॅफ डिसीज स्टडी 1990 2016 के अनुसार पूरी दुनिया में आत्महत्या महिलाओं में से 37 फीसदी अकेले भारत में रहती हैं जिसका मुख्य कारण डिप्रेशन है। भारत में प्रति 1 लाख महिलाओं में से 15 महिला डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर लेती हैं। वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ के आंकड़ों के मुताबिक 2030 तक यह बीमारी बहुत बड़ा रूप ले लेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डिप्रेशन के शिकार हुए व्यक्ति डॉक्टर के पान जाने से कतराते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वह कही पागल नहीं हो जाए। लेकिन आपको बता दें डॉक्टर के पास नहीं जाकर इंसान बहुत बड़ी गलती करते हैं। मनुष्य की सेहत का खजाना मूंगफली डिप्रेशन के कुछ लक्षण होते हैं जिनसे आप यह जान सकते हैं कि कही आप या आपके परिवार में कोई डिप्रेशन का शिकार तो नहीं है। तो चलिए बताते हैं डिप्रेशन के लक्षण - - नींद नहीं आना। - भूख नहीं लगना। - कुछ काम करने का मन नहीं करना। - हर वक्त बैचेनी होना। - अकेले रहना पसंद करना। - परिवार या दोस्तों से मिलने नहीं जाना। यह भी पढ़ें महत्वपूर्ण गुणों से भरपूर है ये लाल सेवफल इस वजह से घर के मंदिर में रखा जाता है शंख शीना बोरा हत्याकांड: फिर बिगड़ी इन्द्राणी की हालत, जे जे अस्पताल में हुई भर्ती