नई दिल्लीः विश्व चैंपियनशिप में देश के लिए सिल्वर मेडल हासिल करने वाले दिग्गज पहलवान दीपक पूनिया आज देशभर में फेमस हो गए हैं। उन्होंने जब कुश्ती शुरू की थी तब उनका लक्ष्य इसके जरिए नौकरी हासिल करना था जिससे वह अपने परिवार की देखभाल कर सके। पूनिया काम की तलाश में थे और 2016 में उन्हें भारतीय सेना में सिपाही के पद पर काम करने का मौका मिला. लेकिन ओलिंपिक मेडलिस्ट विजेता पहलवान सुशील कुमार ने उन्हें छोटी चीजों को छोड़कर बड़े लक्ष्य पर ध्यान देने का सुझाव दिया और फिर दीपक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील ने दीपक को प्रायोजक ढूंढने में मदद की और कहा, ‘कुश्ती को अपनी प्राथमिकता बनाओ, नौकरी तुम्हारे पीछे भागेगी। उन्होंने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम के अपने सीनियर पहलवान की सलाह मानी और तीन साल के भीतर आयु वर्ग के कई बड़े खिताब हासिल किए. वह 2016 में विश्व कैडेट चैंपियन बने थे और पिछले महीने ही जूनियर विश्व चैंपियन बने. वह जूनियर चैंपियन बनने वाले सिर्फ चौथे भारतीय खिलाड़ी है जिन्होंने बीते 18 साल के खिताबी सूखे को समाप्त किया था। दीपक के पिता 2015 से रोज लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तय करके उसके लिए हरियाणा के झज्जर से दिल्ली दूध और फल लेकर आते थे. उन्हें बचपन से ही दूध पीना पसंद है और वह गांव में ‘केतली पहलवान’ के नाम से जाने जाते हैं। केतली पहलवान’ के नाम के पीछे भी दिलचस्प कहानी है. गांव के सरपंच ने एक बार केतली में दीपक को दूध पीने के लिए दिया और उन्होंने एक बार में ही उसे खत्म कर दिया. उन्होंने इस तरह एक-एक कर के चार केतली समाप्त कर दी जिसके बाद से वह केतली पहलवान के नाम से पुकारे जाने लगे। कभी इस खिलाड़ी के पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे, अब देश के लिए जीता मेडल Laver Cup : इस दिग्गज खिलाड़ी के कोच बने राफेल नडाल और रोजर फेडरर इस खिलाड़ी को कभी लेट पहुंचने पर देना पड़ा था जुर्माना, अब जीता मेडल