सनातन धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शिवजी एवं प्रभु श्री विष्णु की पूजा का विधान है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस वर्ष 25 नवंबर 2023 को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि श्रीहरि एवं देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना से स्वर्ग-लोक की प्राप्ति होती है तथा जातक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। आइए आपको हैं बैंकुठ चतुर्दशी की पूजाविधि... पूजाविधि:- बैकुंठ एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठें। स्नादि के बाद यदि संभव हो, तो शिवजी और विष्णुजी के समक्ष व्रत का संकल्प लें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं। विष्णुजी को बेलपत्र और कमल का फूल चढ़ाएं। मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी ही एकमात्र ऐसा दिन है, जिस दिन शिवजी को तुलसी चढ़ाया जा सकता है। इसके बाद श्रीहरि एवं महादेव की विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही विष्णुजी की कृपा पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। भगवान जगदीश्वर की आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥ तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥ दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥ विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥ तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥ जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥ आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए आज अपनाएं ये उपाय, मिलेगा कर्ज से निजात कब है कार्तिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि नवंबर से मार्च तक रहेंगे विवाह के 52 मुहूर्त, यहाँ देंखे तारीख