नई दिल्ली: देश में जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर अब केंद्र सरकार ने सख्त रुख अख्त्यार कर लिया है. केंद्र सरकार ने आज सोमवार (15 मई) को एक आदेश जारी करते हुए अपने सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवा लिखने की सलाह दी है. सरकार ने कहा है कि यदि डॉक्टर अपनी पर्ची में जेनरिक दवा नहीं लिखते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा के डायरेक्टर जनरल ने इस बाबत आदेश जारी करते हुए चेतावनी दी है कि जो कोई भी डॉक्टर जेनरिक दवाओं को अपने पर्ची में शामिल नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है. आदेश में कहा गया है कि कुछ डॉक्टरों द्वारा ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही है जो कि सही नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, इसके अतिरिक्त मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (MR) के डॉक्टरों से मिलने के लिए भी नई गाइडलाइन्स जारी की गई है. डॉ अतुल गोयल ने अपने नोटिस में डॉक्टरों को इस बात की सलाह दी है कि किसी भी स्थिति में अपनी पर्ची पर सिर्फ जेनरिक दवाइयां ही लिखें. उन्होंने यह आदेश जारी किया है कि काफी सारे मामलों में कमेटी ने यह पाया है कि कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो अपनी पर्ची पर जेनरिक दवाएं नहीं लिख रहे हैं. ऐसे में आवश्यक यह है कि इस बात को पूरी तरह से अमली जामा पहनाया जाए और पर्ची पर सिर्फ और सिर्फ जेनरिक दवाओं का नाम ही लिखा जाए. बता दें कि पहले भी ऐसे आदेश जारी किए गए थे, उसके बावजूद कुछ डॉक्टरों द्वारा पर्ची पर ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही है. दरअसल, डॉक्टरों की तरफ से ब्रांडेड दवाएं लिखने के पीछे एक जेनरिक दवाइयों की कमी को भी कारण बताया जाता है. कई सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं की किल्लत के मामले भी सामने आ चुके हैं. बता दें कि, आमतौर पर जेनरिक दवाएं, ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले बहुत सस्ती होती हैं, लेकिन उनमे ड्रग वही रहता है. सस्ती होने के कारण मरीजों पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ता है. कहा ये भी जाता है कि, डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने के लिए सम्बंधित कंपनी से कमीशन मिलता है, साथ ही MR द्वारा भी डॉक्टरों को महंगे उपहार दिए जाते हैं. हालाँकि, इस पूरे मामले में पिसता आम आदमी है, जो बेहद महंगी होने के कारण ब्रांडेड दवाएं नहीं खरीद पाता और मरीज बीमारी के साथ ही दम तोड़ देता है, जबकि जेनेरिक दवाएं बेहद सस्ती होती हैं, जो व्यक्ति के बजट में आराम से आ जाती हैं, लेकिन इनकी उपलब्धता को लेकर थोड़ी समस्या है. हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में जेनेरिक दवाएं मिल जाती हैं, जो लगभग हर शहर में खुले हुए हैं और इनकी संख्या भी बढ़ रही है. बता दें कि, कई ब्रांडेड दवाएं, जेनेरिक दवाओं से लगभग 4 से 5 गुना महंगी होती हैं. उदाहरण के रूप में, यदि किसी ब्रांडेड दवा का मूल्य 300 रुपए है, तो वही जेनेरिक दवा आपको मात्र 50 रुपए में मिल जाएगी. कर्नाटक: 'कांग्रेस के सभी विधायक छोड़ गए थे, लेकिन मैंने...', क्या कुर्सी की रेस में शामिल हुए डीके शिवकुमार ? पंजाब की जनता को लगा महंगाई का झटका, जालंधर उपचुनाव जीतते ही मान सरकार ने बढ़ाए बिजली के दाम हेमकुंड साहिब में 8 फ़ीट तक जमी बर्फ, 20 मई को खुलने वाले हैं कपाट