शुरुआत से ही WWE का क्रेज उसके फैंस के बीच बरक़रार है. चाहे जो भी उम्र हो, इसका क्रेज निरंतर बना हुआ है. हाल ही में ट्रिपल एच के इंडिया पर बयान को लेकर देश की युथ का क्रेज इसके प्रति और भी बढ़ गया है. लेकिन जनता के मन में जो सवाल है वो यह कि जितनी भी फाइट्स WWE में होती हैं, क्या वे सब पूर्व निर्धारित और पहले से रची हुई होती हैं? कुछ फैंस इसे सही बताते हैं और वहीं कुछ इसे एक फेक फाइट का नाम देते हैं, बाकि कुछ लोगों को यह समझ ही नहीं आता कि यह सब चल क्या रहा हैं. WWE की लगभग सारी फाइट्स पहले से तय रहती हैं. किस पहलवान को किस तरह रियेक्ट करना हैं और कैसे मूव्स लेने हैं, यह सब वहाँ के राइटर्स स्क्रिप्टेड करके रखते हैं. इसी के आधार पर उनकी फीस निर्धारित की जाती हैं. लोगो की रूचि यह जानने में भी हैं कि इतनी लड़ाई के बाद भी रेसलर्स को लगती क्यों नहीं हैं....तो इसका जवाब हैं कि, उन्हें सालों तक इसी बात की ट्रेनिंग दी जाती हैं कि वो एक-दूसरे को ज्यादा नुकसान पहुंचाने से बचें. लड़ाई के दौरान हथियारों का सही इस्तेमाल कैसे करना हैं इसकी ट्रेनिंग उन्हें पहले दे दी जाती हैं. 75 फीसदी हथियार इसमें असली होते हैं. रिंग की सतह इस तरह बनाई जाती हैं कि रेसलर्स को ज्यादा दर्द न हों. सफेद दिखने वाली प्लेटफार्म के नीचे एक मैट फिर लकड़ी होती है, इस लकड़ी को स्प्रिंग के साथ ऐसे जोड़ा जाता है कि चोट कम लगे. स्क्रिप्टेड होने के बाद भी कई बार ये देखने को मिला हैं कि ज्यादा चोट लगने से खिलाडी हैंडीकैप तक हुए हैं. खून दर्शाने के लिए उन्हें ब्लड कैप्सूल्स दिए जाते हैं ताकि आगे कि फाइट्स में इसकी दिलचस्पी बनी रहे. WWE Hell In a Cell 2017 का परिणाम भारत में WWE की संभावनाओं को लेकर 'ट्रिपल एच' ने कही ये बड़ी बात 'विंस मैकमहोन को रिंग में पटकना मेरे लिए शानदार पल' - केविन ओवंस