यह बात तो गलत है.... कोई किसी से खुश हो और वो भी बारहा हो यह बात तो ग़लत है रिश्ता लिबास बन कर मैला नहीं हुआ हो यह बात तो ग़लत है वो चाँद रहगुज़र का, साथी जो था सफ़र का था मोजिज़ा नज़र का हर बार की नज़र से रोशन वह मोजिज़ हो यह बात तो ग़लत है है बात उसकी अच्छी, लगती है दिल को सच्ची फिर भी है थोड़ी कच्ची जो उसका हादसा है मेरा भी तजुर्बा हो यह बात तो ग़लत है दरिया है बहता पानी, हर मौज है रवानी रुकती नहीं कहानी जितना लिखा गया है उतना ही वाकया हो यह बात तो ग़लत है वे युग है कारोबारी, हर शय है इश्तहारी राजा हो या भिखारी शोहरत है जिसकी जितनी, उतना ही मर्तवा हो यह बात तो ग़लत है -निदा फ़ाज़ली