अष्टांग योग, योग का ही एक प्रकार है, जिसमे साधक अपनी मनुष्यता से ऊपर उठकर दिव्यता के भाव को प्राप्त करता है और परमात्मा में लीं हो जाता है. इसके आठ चरण हैं. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं इसका प्रथम चरण जो है यम. इस चरण के 5 बिंदु हैं, जिन्हे लागू किये बिना कोई भी साधक अष्टांग योग के अगले चरण में प्रवेश नहीं कर सकता है. इसके पांच बिन्दु हैं, अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रम्हचर्य और अपरिग्रह. सबसे पहले योगी को अहिंसक होना होता है, अर्थात मन, वचन और कर्म से हिंसा न करना ही अहिंसा माना गया है, क्रोध करना, लोभ, मोह पालना, किसी वृत्त‍ि का दमन करना, शरीर को कष्ट देना आदि सभी स्वयं के साथ हिंसा है, ये भी अपराध की श्रेणी में आता है. इसके बाद है सत्य, जैसा की इसका नाम है, उससे पता चलता है कि इसका अर्थ है झूठ न बोलना, लेकिन इसका गहन अर्थ भी है, सत् और तत् धातु से मिलकर बना है सत्य, जिसका अर्थ होता है यह और वह- अर्थात यह भी और वह भी, क्योंकि सत्य पूर्ण रूप से एकतरफा नहीं होता. इसके बाद आता है अस्तेय, अर्थात चोरी की भावना नहीं रखना, न ही मन में चुराने का विचार लाना. चौथा स्थान है ब्रम्हचर्य का, एक योगी के लिए ये बेहद आवश्यक है कि वो अपनी ऊर्जा का अधोपतन रोक उसके ऊर्ध्वगमन के लिए प्रयास करे, ताकि योगी समाधी की उच्चतम अवस्था तक पहुँच सके. पंचा और अंतिम बिंदु है अपरिग्रह, इसे अनासक्ति भी कहते हैं अर्थात किसी भी विचार, वस्तु और व्यक्ति के प्रति मोह न रखना ही अपरिग्रह है, क्योंकि आसक्ति रखने से ही मोह उत्पन्न होता है और योगी की मानसिक प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है. विश्व योग दिवस: जानिए क्या है अष्टांग योग योग दिवस: योग का चौथा अंग प्राणायाम जानिए योग से होने वाले लाभ