लगान, गंगाजल, अब तक छप्पन, अपहरण ,सिंह इज़ किंग, आरक्षण, और रावड़ी राठौड़ जैसी फिल्मो में अपने बेमिसाल अभिनय के दम पर हिंदी फिल्म जगत में धाक ज़माने वाले यशपाल शर्मा आज नेगेटिव रोल में निर्माताओं की पहली पसंद बन चुके है. हरियाणा के इस अदाकार का सफर बिट्टू के रूप में रामलीला के तम्बु से शुरू हुआ, फिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ये सफर टीवी से होता हुआ मुंबई बॉलिवूड तक पहुंच चूका है. हरियाणवी फिल्म "पगड़ी द ऑनर" के लिए 62वाँ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल करने वाले हिसार के इस साधारण शहरी यशपाल शर्मा ने सीआईडी, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, मेरा नाम करेगा रोशन, और नीली छतरी वाले भगवान दास जैसे चर्चित टीवी सीरियल में खूब नाम कमाया है. यशपाल की नेगेटिव रोल को जीवंत कर देने वाली अदाकारी के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले है. फिल्मो में गंगाजल में उनके निभाए किरदार के लिए यशपाल को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार, आईफा अवार्ड, स्क्रीन साप्ताहिक पुरस्कार, ज़ी सिने पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. वही साल 2016 में आयी मोक्ष वाटअशॉर्ट के लिए इंडिपेंडेंट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड से नवाज़ा गया था. पुलिस वाले की वर्दी हो या यूपी बिहार के भैया जी वाला किरदार हर चरित्र को यशपाल ने बखूबी निभाया है. यशपाल अपनी शुरुआत में बचपन की देखी राम लीला का महत्त्व आज तक नहीं भूले है. वे आज भी धरती से जुड़े कलाकारों में गिने जाते है. यशपाल किसी को फॉलो नहीं करते .अभिनय की शिक्षा उन्हें अपने गुरु राजीव मनचंदाजी से मिली. यशपाल के अनुसार फिल्मों में जाना उनका लक्ष्य नहीं था. अपने सफर के बारे में बात करते हुए यशपाल कहते है 700 रुपए महीना से थियेटर की दुनिया में कदम रखने के बाद कब उनका कारवां हिंदी सीने जगत तक पहुंच गया उन्हें खुद पता नहीं चला. आज यशपाल शर्मा का नाम मौजूदा कलाकारों में मंझे हुए कलाकारों की फेहरिस्त में शुमार है. प्रियंका चोपड़ा के अलावा ये भारतीय महिला भी बनी रॉयल वेडिंग का हिस्सा Video : 24 साल बाद फिर 'लो चली मैं...' पर झूमने लगी माधुरी और रेणुका बिजी स्केड्यूल से टाइम निकालकर गाँव में खेती करने जाते हैं नवाज़